मंगलवार को राजधानी में प्रेसवार्ता कर मायावती ने महंगाई के मुद्दे पर जहां बीजेपी को घेरा, वहीं कांग्रेस पर भी इसका ठीकरा फोड़ा। बसपा सुप्रीमो ने कहा कि भाजपा और कांग्रेस एक ही थैली के चट्टे-बट्टे हैं। बीजेपी की नीति बिल्कुल कांग्रेसियों जैसी ही है। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पूर्व की यूपीए सरकार जैसे ही फैसले ले रही है। पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों को सरकारी नियंत्रण से बाहर रखने की शुरुआत कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार में ही हुई थी। मायावती ने कहा कि सरकार चाहे तो डीजल-पेट्रोल के बढ़ते दामों को कम कर सकती है, लेकिन बीजेपी वाले अपने उद्योगपति उद्योगपति दोस्तों को निराश नहीं करना चाहते हैं। इन्हें लगता है कि अपने उद्योगपति साथियों की बदौलत एक बार फिर से सत्ता हासिल कर लेंगे। इस बार के आम चुनाव में जनता बीजेपी को सबक सिखाएगी।
दूर-दूर हो रहे रास्ते
राजनीतिक गलियारों में मायावती के इस बयान को गठबंधन से कांग्रेस को अलग करने के तहत देखा जा रहा है। कहा जा रहा है कि सीटों के बंटवारे का पेंच फंसने के बाद सपा-बसपा ने कांग्रेस से किनारा करना उचित समझा है। गौरतलब है कि हाल ही में यूपी के लोकसभा उपचुनाव में सपा-बसपा ने मिलकर चुनाव लड़ा था, जिसमें भाजपा की हार हुई। सपा-बसपा रणनीतिकारों का मानना है कि कांग्रेस के साथ आने से इन्हें फायदा नहीं, वरन नुकसान ही होगा। इसीलिये सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश की अमेठी और रायबरेली सीट ही कांग्रेस को देना चाहते हैं।
अकेले चुनाव लड़ने से परहेज नहीं : कांग्रेसबीते दिनों बाराबंकी में
कांग्रेस के यूपी प्रभारी व पार्टी महासचिव गुलाम नबी आजाद ने कहा था कि भले ही हमने समान विचारधारा वाले दलों की ओर महागठबंधन के लिए हाथ बढ़ाया है, लेकिन पार्टी अकेले भी चुनाव में उतरने को तैयार है। कांग्रेसियों ने उत्तर प्रदेश में बूथ स्तर पर तैयारियां भी शुरू कर दी हैं।