लखनऊ

बसपा सुप्रीमो ने तेज की उपचुनाव की तैयारी, जिम्मेदार पदाधिकारियों को दिया जीत का एक सूत्रीय फार्मूला

-बैठक में दिए गए ‘होमवर्क’ की देखी प्रोग्रेस रिपोर्ट

लखनऊJul 02, 2019 / 03:33 pm

Ruchi Sharma

बसपा से आई बड़ी खबर, मायावती ने बैठक के बाद तत्काल किया ये बड़ा ऐलान, सबसे बड़ा उलटफेर

लखनऊ. बसपा सुप्रीमो व पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने यूपी के विधानसभा उपचुनाव को लेकर तैयारियां तेज कर दी हैं। इस संबंध में उन्होंने यहां पार्टी दफ्तर में पश्चिमी उत्तर प्रदेश व बुंदेलखंड क्षेत्र के वरिष्ठ और जिम्मेदार पदाधिकारियों की ‘क्लास’ ली। इसमें उन्होंने पिछले दिनों दिल्ली में आयोजित बैठक में दिए गए दिशा-निर्देशों के अनुपालन की प्रगति रिपोर्ट की समीक्षा की। इसके साथ ही पार्टी की आगामी चुनावी रणनीति के तहत जीत का एक सूत्रीय फार्मूला भी दिया। इसमें यूपी में कानून-व्यवस्था को मुख्य मुद्दा बनाते हुए सर्व समाज में जनाधार बढ़ाने पर फोकस किया गया।
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बैठक में बसपा सुप्रीमो मायावती ने पार्टी पदाधिकारियों को निर्देशित किया कि वे गांव-गांव में सर्वसमाज के बीच जाएं। उनका दुख-दर्द बांटने का हर प्रकार से प्रयास करें। बीजेपी की सरकार में आम जनता का काफी ज्यादा बुरा हाल है। उनका जीवन काफी त्रस्त है। कानून-व्यवस्था ध्वस्त है। इस ध्वस्त अपराध नियंत्रण और बदतर कानून व्यवस्था का शिकार केवल गरीब जनता ही नहीं, बल्कि सर्वसमाज के लोग भी हैं। व्यापारी और वकील से लेकर कोई भी वर्ग सुरक्षित नहीं बचा है।
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सरकारी कर्मचारी व पुलिस भी असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। महिला अत्याचार, दलित उत्पीड़न, राजनीतिक हत्याएं व मुस्लिम समाज पर अन्याय-अत्याचार व हत्या आदि तो आम बात हो गई है। अपराधियों के दिल से कानून का डर निकल चुका है क्योंकि ऐसे लोगों को हर प्रकार का सरकारी संरक्षण प्राप्त है। यह स्थिति काफी दुखद और भयावह है। इसका डटकर मुकाबला करते हुए आगे बढ़ने का प्रयास करना है।
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आरक्षण के असली हकदार उपेक्षा का शिकार

बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि बीजेपी की केंद्र व राज्य सरकारों ने आर्थित आधार पर आरक्षण देने के साथ महाराष्ट में मराठा समाज को ओबीसी के आरक्षण का लाभ दिए जाने के संबंध में जबर्दस्त रुचि लेकर आनन-फानन में त्वरित कार्रवाई की गई। अगर इसी तरह की दिलचस्पी लेकर एससी,एसटी, ओबीसी वर्गों के लंबित पदों को भरा गया होता तो इन उपेक्षित वर्गों के लोगों का भी थोड़ा भला हो गया होता। सच बात यह है कि आरक्षण के असली हकदार इन शोषित व कमजोर वर्गों के लोग पहले की तरह ही अभी भी उपेक्षा का शिकार बने हुए हैं। ये बीजेपी सरकार की जातिवादी नीति व उनकी संकीर्ण सोच को ही प्रमाणित करता है। खासकर यूपी में तो बीजेपी के शासन में भी ओबीसी की उन 17 जातियों की और भी ज्यादा दुर्दशा होने वाली है, जिन्हें गैर-कानूनी ही नही, बल्कि असंवैधानिक तौर पर इन जातियों को ओबीसी वर्ग से निकालकर एससी वर्ग में शामिल करने का प्रयास किया गया है, क्योंकि अब ये लोग किसी भी प्रकार के आरक्षण से वंचित हो जाएंगे। ऐसा पहले भी इनके साथ सपा सरकार में धोखा करने का प्रयास राजनीतिक लाभ उठाने की गर्ज से किया गया था।

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