दरअसल, आवास विकास परिषद के पूर्व के इंजीनियरों व अधिकारियों ने बिना डिमांड सर्वे के हजारों मकान बनवा दिए थे। यह परिषद के लिए घाटे की बात बन गई है। हजारों मकान खाली पड़े हैं, वह बिक ही नहीं रहे। परिषद का बड़ा बजट इसमें फंस गया है। एक तरफ मकानों की हालत जर्जर हो रही तो दूसरी तरफ इनके निर्माण की लागत नहीं मिल रही। पिछले 10 सालों में बने इन मकानों में से 30 प्रतिशत मकानों की हालत खराब हो गई है। देखरेख न होने की वजह से यह जर्जर हो गए हैं। इस वजह से भी ग्राहक इन्हें खरीदने से बच रहे हैं।
पीएम आवास के लिए नहीं है जमीन राजधानी लखनऊ में पीएम आवास योजना (PMAY) के तहत मकान खरीदने के लिए जमीन नहीं मिल रही। ऐसे में जो इस योजना के अंतर्गत मकान खरीदना चाहते हैं, उन्हें घर खरीदने में परेशानी हो रही। एलडीए को 48 हजार मकान बनवाने के लिए 330 एकड़ जमीन की जरूरत है। लेकिन एभी तक सिर्फ 12 एकड़ जमीन ही मिल सकी है। वहीं मकानों के निर्माण के लिए सरकार से बजट भी मुहैया नहीं हो रहा। अलग-अलग स्थानों पर जिन आठ योजनाओं पर एलडीए काम कर रहा है, उसमें से शासन ने पांच योजनाओं के लिए पहली किस्त दी है। बजट के अभाव से निर्माण कार्य ठप्प पड़ा है।