दरअसल चुनाव लडऩे के इच्छुक लोगों को बकाया एक-एक पाई का भुगतान करना पड़ रहा है। तमाम ऐसे लोग भी नगर निगम में करों के भुगतान का अनापत्ति प्रमाणपत्र लेने आ रहे हैं, जिन्होंने विगत कई सालों से इसका भुगतान नहीं किया है। जोन 1 में जहां 50 हज़ार रूपए जमा हुए तो जोनों में राशि काफी अधिक है। जोन 2 में 2 लाख, जोन 5 में 10 लाख, जोन 6 में 7.5 लाख रूपए जमा हुए हैं।
क्योंकि एनओसी मिले बिना चुनाव लडऩा मुमकिन नहीं होगा इसलिए एनओसी लेने की चाह में प्रत्याशी अपना आपा भी खो रहे हैं। प्रत्याशी तो प्रत्याशी विभागीय कर्मचारी भी प्रत्याशियों के मोह में बंधे दिखे। मिली जानकारी के अनुसार मंगलवार दोपहर को एक प्रत्याशी एनओसी लेने आया था जिसका म्युटेशन पेंडिंग था। कर अधीक्षक राजेश सिंह द्वारा म्युटेशन फीस जमा करने के बाद एनओसी देने की बात कही इसपर प्रत्याशी की फाइल लाए बाबू देवी पाल और कर निरक्षक अरविन्द ने राजेश सिंह पर तनहाशाही करने के साथ गाली गलौज की। इसकी मौखिक जानकारी नगर आयुक्त को दी गयी है और लिखित बुधवार को दी जाएगी।
सिर्फ 2500 रुपए के लिए कर रहे नोकझोंक
इससे पहले जोन एक में रहने वाले एक व्यक्ति अपने मकान मालिक का बकाया अदा करने आए। कई लोगों ने कर अधीक्षक से बहस तक कर ली। कर अधीक्षक राजेश सिंह का कहना है कि नियमानुसार नगर निगम को अध्यासी से मतलब है। मकान मालिक हो या फिर किराएदार जो भी संबंधित मकान का उपयोग करेगा उसे टैक्स देना होगा। सिर्फ 2500 रुपए टैक्स बकाया होने पर चुनाव लडऩे वाले किराएदार पैसा न जमा करने के लिए जद्दोजहद कर रहे थे। अंत में उन्हें टैक्स जमा करने पर ही एनओसी दिए जाने पर सहमति जतायी गई। नाम न छापने के अनुरोध पर ऐसे प्रत्याशियों ने बताया कि हर हाल में चुनाव लडऩा है, इसलिए भुगतान तो करना ही है।
इससे पहले जोन एक में रहने वाले एक व्यक्ति अपने मकान मालिक का बकाया अदा करने आए। कई लोगों ने कर अधीक्षक से बहस तक कर ली। कर अधीक्षक राजेश सिंह का कहना है कि नियमानुसार नगर निगम को अध्यासी से मतलब है। मकान मालिक हो या फिर किराएदार जो भी संबंधित मकान का उपयोग करेगा उसे टैक्स देना होगा। सिर्फ 2500 रुपए टैक्स बकाया होने पर चुनाव लडऩे वाले किराएदार पैसा न जमा करने के लिए जद्दोजहद कर रहे थे। अंत में उन्हें टैक्स जमा करने पर ही एनओसी दिए जाने पर सहमति जतायी गई। नाम न छापने के अनुरोध पर ऐसे प्रत्याशियों ने बताया कि हर हाल में चुनाव लडऩा है, इसलिए भुगतान तो करना ही है।