आश्रय स्थल में गायों की स्थिती दयनीय सूबे की योगी सरकार मवेशियों की हिफाजत के लिए 600 करोड़ रुपये खर्च कर रही है। फिर भी आश्रय स्थलों में गायों का बुरा हाल है। भूख और पानी की कमी के कारण आवारा गोवंशों की जान पर बन आई है। बीते दिनों फर्रुखाबाद के धर्मपुगौर गौशाला में तीन दिनों के अंदर ही 40 गायों ने दम तोड़ा। वहीं पिछले छह महीनों में 400 से अधिक गायों की जान जा चुकी है। इसका एक ही कारण है और वह है चारे और पानी की कमी।
इसी तरह बलिया में भी चारे और पानी की कमी से चार बछड़ों की मौत हो गई। वहीं, लखनऊ-प्रयागराज हाईवे किनारे बने कान्हा गोवंश का भी यह हाल है। इस गौशाला का शुभारंभ छह फरवरी को किया गया था। लेकिन इसके एक महीने बाद ही भूख और प्यास से यहां 18 गोवंशों की मौत हो गई। मवेशियों और गौशालाओं की असल हालत सामने आई है। वह भी तब, जब योगी सरकार गायों की सुरक्षा के लिए करोड़ों खर्च कर रही है।
सरकार के अनुदान का नहीं हुआ इस्तेमाल गौशाला और गायों की सुरक्षा के लिए सरकार करोड़ों रुपये खर्च कर रही है। लेकिन सरकार द्वारा दिए गए अनुदान का इस्तेमाल अधिकतर गौशालाओं में चारे के लिए नहीं किया जाता। गौशाला में खाने के लिए रखी गई नांदे खाली रहती हैं।
ये भी पढ़ें: भूख और प्यास से तीन दिन में निकला 40 गोवंशों का दम, बीमार पशुओं का नहीं होता उपचार बता दें कि 2018-19 के बजट में योगी सरकार ने गायों के कल्याण के लिए 600 करोड़ आवंटित किए थे। इसमें से 250 करोड़ रुपये ग्रामीण इलाकों में और बाकी के 250 करोड़ रुपये शहरी क्षेत्र में गौशाला और गायों की देखरेख के लिए दिए गए थे। इसके बाद कई शहरों में गायों को गौशाला में रखने का प्रावधान किया गया। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों को राहत मिली क्योंकि आश्रय स्थल न होने की स्थिती में अक्सर आवारा पशु उनकी फसलों को खा जाती थीं। आवार मवेशी किसानों के लिए सिरदर्द बन गए थे। मवेशियों के फसल खा जाने से किसानों को नुकसान होता था। लिहाजा योेगी सरकार ने छुट्टा जानवरों को गौशालाओं में रखने के प्रबंधन करने के निर्देश दिए।