युद्ध का पड़ रहा असर एजेंसी ने कहा है कि मार्च में कच्चे तेल की कीमतें $115 प्रति बैरल पार कर गई हैं। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय बाजार में कोयले का भाव भी विभिन्न कारणों से बढ़ रहा है। कंपनी ने कहा कि रूस यूक्रेन युद्ध के कारण ऑस्ट्रेलिया के प्रमुख खदानों में तापमान के बदलने और इंडोनेशिया की ओर से कोयला निर्यात पर प्रतिबंध लगने से सीमेंट की मांग बढ़ गई है। इंधन के साथ परिवहन लागत भी बड़ी है। सीमेंट का करीब 50% हिस्सा सड़कों के जरिए से ढ़ोया जाता है।
घर बनाने की लागत 20 प्रतिशत तक बढ़ी घर बनाने में इस्तेमाल होने वाली सामग्री पहले से महंगी हो गई है। इससे मकान बनाने की लागत 15 से 20 फ़ीसदी बढ़ चुकी है। ऐसे में सीमेंट की कीमतें बढ़ने से लागत में और इजाफा होगा। दिसंबर से अब तक लोहे का भाव ₹20000 टन बढ़ गया है। मार्च 2021 की तुलना में अप्रैल 2022 में सीमेंट की कीमतें करीब 60 फ़ीसदी बढ़ गई हैं।
ये भी पढ़ें:
कानून व्यवस्था के नाम पर बुल्डोजर चलाने वाले सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती, आखिर कैसे रूकेंगे महिला अपराध, पढ़े रिपोर्ट घर बनाने में 20 प्रतिशत अधिक लगेगी लागत सीमेंट निर्माता कंपनी का कहना है कि वित्तीय वर्ष 2021-22 की पहली छमाही में सीमेंट की मांग में सालाना आधार पर 20 फ़ीसदी का इजाफा हुआ है। लेकिन दूसरी छमाही में बेमौसम बारिश की वजह से सीमेंट की मांग घटने के साथ बालू और मजदूरों की भी कमी होने लगी है। सीमेंट कंपनियों का कहना है कि पिछले दो-तीन महीने में सीमेंट बनाने की लागत 70 से 75 प्रति बोरी बढ़ चुकी है। ऐसे में अब पहले के भाव पर सीमेंट बेचना हमारे लिए मुश्किल हो रहा है।