'पापों से मुक्त करने वाली गंगा को चाहिए प्रदूषण से मुक्ति'
सीएसई की ओर से आयोजित कार्यशाला में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन की चुनौतियों और चिंताओं पर चर्चा

लखनऊ. उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड व पश्चिम बंगाल की लाइफ लाइन मानी जानी वाली गंगा नदी दिन पर दिन भारी प्रदूषण के चलते दम तोड़ती चली जा रही हैं। गंगा को निर्मल व अविरल बनाने का सरकारें दावा लाख करती आई हैं, लेकिन हकीकत की जमीन पर सरकारों के ये सभी दावे हवा-हवाई ही साबित हुए हैं। गंगा में दिन पर दिन प्रदूषण बढ़ता ही जा रहा है। हालत इतने बद्दतर हो गए हैं कि मोक्षदायिनी मां गंगा को आज खुद मोक्ष की दरकार है। ये बातें सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायर्नमेंट (सीएसई) की ओर से सोमवार को आयोजित एक मीडिया कार्यशाला में सेन्ट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के रिप्रजेंटटेटिव के रूप में शिरकत कर रहे राकेश जायसवाल ने कही। कार्यशाला में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन की चुनौतियों और चिंताओं पर चर्चा की गई।
राकेश जायसवाल ने कहा कि गंगा में बढ़ते प्रदूषण के स्तर पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि गंगा की सफाई के लिए पूर्व की सरकारों ने तमाम योजनाएं चलाई हैं, लेकिन ये योजनाएं अपने लक्ष्य को कभी भी प्राप्त नहीं कर सकी। 30 साल पहले जो स्थिति गंगा की थी आज भी वैसी ही है, बल्कि यूं कहा जाए मौजूदा समय में और ज्यादा बद्दतर हो गई है। राकेश जायसवाल ने कहा कि गंगा में बढ़ते प्रदूषण के स्तर का सबसे बड़ा कारण तेजी से बढ़ता औद्योगिकरण है।

उद्योगों से निकलने वाले कचरे के निस्तारण की कोई पुख्ता व्यवस्था न होने की वजह से गंगा का हाल सबसे ज्यादा बेहाल है। यूं तो प्रदूषण से गंगा का दम घुटना उत्तराखंड से ही शुरू हो जाता है, लेकिन कानपुर पहुंचकर टेेनरियों से निकलने वाले जहरीला पानी गंगा के जल को हानिकारक बना देता है। इस जहरीले पानी की वजह से गंगा के पानी में ऑक्सीजन की कमी होती जा रही है, जिससे जलीय जीव-जन्तु के आस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है, साथ ही इसकी वजह से असतुंलन भी पनप रहा है।
उन्होंने कहा कि 2005 में भारत सरकार ने ये दावा किया था कि गंगा को साफ किया जाएगा और मौजूदा सरकार ने भी गंगा को साफ करने के लिए अभियान चला रखा है, लेकिन ये अभियान अभी सिर्फ कागजों में ही फर्राटा भर रहा है, असल में गंगा वैसी ही मैली हैं जैसी सालों पहले थी। राकेश ने कहा कि गंगा को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए सबसे पहले लोगों का जागरूक होना बहुत जरूरी है। जब तक लोग गंगा की सफाई को लेकर सजग नहीं होंगे निर्मल गंगा, अविरल गंगा का सपना सिर्फ सपना ही बना रहेेगा।

कार्यशाला में आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर विनोद तारे ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा स्वच्छ भारत अभियान के तहत शौचायल बनाने का काम किया गया है। क्या गंगा में इस पर कोई असर दिखा है। उन्होंने कहा कि हम सरकार को दोष दे रहे हैं, लेकिन गलती खुद हमारी भी उतनी है जितनी की सरकार की। हमें खुद से शुरुआत करनी होगी।
अब पाइए अपने शहर ( Lucknow News in Hindi) सबसे पहले पत्रिका वेबसाइट पर | Hindi News अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें Patrika Hindi News App, Hindi Samachar की ताज़ा खबरें हिदी में अपडेट पाने के लिए लाइक करें Patrika फेसबुक पेज