सीडीआरआई में नई दवा पर शोध अंतिम चरण में
खून पतला करने वाली इस दवा से दिल तो तंदुरुस्त रहेगा ही साथ ही लीवर और किडनी पर भी कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ेगा। मौजूदा समय में जो दवाएं बाजार में उपलब्ध हैं उनसे शरीर के कई अंग प्रभावित होते हैं। सीडीआरआई में इस नई दवा पर शोध अंतिम चरण में चल रहा है।
खून पतला करने वाली इस दवा से दिल तो तंदुरुस्त रहेगा ही साथ ही लीवर और किडनी पर भी कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ेगा। मौजूदा समय में जो दवाएं बाजार में उपलब्ध हैं उनसे शरीर के कई अंग प्रभावित होते हैं। सीडीआरआई में इस नई दवा पर शोध अंतिम चरण में चल रहा है।
इस दवा से हार्ट के मरीजों को मिलेगी बड़ी राहत
हार्ट पेशेंट्स का खून पतला करने वाली दवा के बारे में जानकारी देते हुए सीडीआरआई की निदेशक डॉ. मधु दीक्षित का बताती हैं कि एंटी थ्रोम्बोटिक कम्पाउंड पर रिसर्च चल रहा है। क्लीनिकल टेस्ट का प्रॉसेस चल रहा है। जानवरों पर इसका प्रयोग करके इसके परिणामों को चेक किया जाएगा। निदेशक ने बताया कि सीडीआरआई की ओर से बनाई जा रही इस दवा का सफलतापूर्ण टेस्ट हो जाने के बाद हार्ट अटैक के मरीजों को काफी राहत मिलेगी। मौजूदा समय में जो दवाएं बाजार में हैं, उनसे ब्लीडिंग की आशंका बहुत अधिक होती है। इससे जान को खतरा भी हो सकता है। खास कर लीवर और किडनी पर ये दवाएं बुरा प्रभाव डालती हैं।
मौजूदा दवाओं से शरीर के कई अंग होते हैं प्रभावित
दिल या फेफड़े में रक्त का थक्का जमने पर दिल का दौरा पड़ सकता है। छाती में दर्द होता है। सांस लेने में दिक्कत होती है। जबड़े और गर्दन में दर्द का अनुभव होता है। पीठ और बांह में भी दर्द हो सकता है।
दिल या फेफड़े में रक्त का थक्का जमने पर दिल का दौरा पड़ सकता है। छाती में दर्द होता है। सांस लेने में दिक्कत होती है। जबड़े और गर्दन में दर्द का अनुभव होता है। पीठ और बांह में भी दर्द हो सकता है।
आंख और मस्तिष्क में खून का थक्का जमने पर आंख में दर्द। धुंधलापन होना। कॉर्निया और पुतली के बीच रक्त आ जाता है। मस्तिष्क में रक्त के थक्के आने पर पक्षाघात, बोलने और समझने में कठिनाई, चक्कर आने की समस्या आने लगती है। उल्टियां भी आने लगती हैं।
पैर और हाथ में खून का थक्का जमने से प्रभावित हिस्से में सूजन आ सकती है। पैर और हाथ के थक्के आने पर त्वचा में लाली, गर्मी और बेचैनी महसूस होती है।