अखिलेश का ड्रीम प्रोजेक्ट, योगी ने फिजूलखर्ची को रोका 351 किलोमीटर लंबे पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे की योजना अखिलेश सरकार के दौर में तैयार हुई थी। उस वक्त योजना की अनुमानित लागत 22 हजार करोड़ आंकी गई थी। प्रदेश में सरकार बदलने के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को योजना में तमाम खामियां नजर आईं। पड़ताल में मालूम हुआ कि कई स्थानों पर चंद लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए हाई-वे को गलत तरीके से मोड़ा गया था। इसके अतिरिक्त चहेतों को जमीन अधिग्रहण के जरिए फायदे की नीयत से हाई-वे को घुमाया गया था। नतीजे में लंबाई और लागत बढ़ गई थी। सीएम के आदेश पर संशोधित योजना बनाई गई। नतीजा यह हुआ कि वक्त गुजरने के बावजूद लागत बढऩा तो दूर, योजना की निर्माण लागत घटकर दो हजार करोड़ रह गई। इसके अतिरिक्त योजना का नाम समाजवादी पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे से बदलकर पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे भी कर दिया गया।
सरकार का खजाना खाली, इसलिए निर्माण का श्रीगणेश नहीं संशोधित योजना के बावजूद पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का निर्माण शुरू नहीं हुआ। राज्य सरकार का खजाना खाली होने के कारण एक्सप्रेस-वे का मसौदा ठंडे बस्ते में पड़ा था। बीती 4 सितंबर को नीति आयोग और राज्य सरकार के संयुक्त कार्यदल की बैठक में यह मुद्दा सामने आया तो नीति आयोग ने केंद्र सरकार से मदद दिलाने का वादा किया था। दो दिन पहले 11 सितंबर को नीति आयोग ने पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे की निर्माण लागत का जिम्मा उठाने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय को प्रस्ताव भेजा है। सूत्रों के मुताबिक, पीएमओ ने प्रस्ताव को मंजूर करते हुए वित्त विभाग के पास भेज दिया है। बहरहाल, भारत माला प्रोजेक्ट के जरिए केंद्र सरकार यूपी के पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के लिए आर्थिक मदद मुहैया कराएगी। भारत माला प्रोजेक्ट को इसी वर्ष मई में लांच किया गया है। इस प्रोजेक्ट के माध्यम से केंद्र सरकार किसी भी राज्य सरकार की एक्सप्रेस-वे, आर्थिक गलियारा अथवा तटीय मार्ग बनाने के लिए मदद करेगी। प्रोजेक्ट में कुल 51 हजार किलोमीटर लंबे सडक़ मार्ग के लिए फंड का इंतजाम किया गया है।
नौ जिलों को जोड़ेगा एक्सप्रेस-वे, अयोध्या-काशी से गुजरेगा पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे लखनऊ से शुरु होकर गाजीपुर में खत्म होगा। इस दरम्यान यह रास्ता बाराबंकी, अमेठी, सुल्तानपुर, फैजाबाद, अंबेडकरनगर, आजमगढ़, मऊ से गुजरेगा। इस एक्सप्रेस-वे के जरिए धर्मनगरी अयोध्या और वाराणसी भी आपस में जुड़ जाएंगी। केंद्र को आर्थिक मदद का मसौदा भेजने के बाद नीति आयोग के सीईओ कहाकि उत्तर प्रदेश की माली हालत काफी खराब है, ऐसे में पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के लिए नई राह खोजना जरूरी है। उधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रमुख सचिव नृपेंद्र मिश्र ने कहाकि नीति आयोग की सिफारिश मिली है। केंद्र सरकार मदद करने के लिए तैयार है। पहले पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के लिए संयुक्त उपक्रम का विचार था, यानी जमीन अधिग्रहण का खर्च राज्य सरकार उठाए और निर्माण लागत केंद्र सरकार वहन करेगी। बाद में पूर्वांचल के विकास के मद्देनजर इस योजना को भारत माला प्रोजेक्ट में शामिल कर लिया गया।