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Patrika Breaking: योगी सरकार के धर्म परिवर्तन वाले अध्यादेश को हाईकोर्ट में चुनौती, अनुच्छेद 21 के उल्लंघन का हवाला देते हुए रद्द करने की उठी मांग

locationलखनऊPublished: Dec 12, 2020 10:47:23 am

Submitted by:

Karishma Lalwani

योगी सरकार के धर्म परिवर्तन से जुड़े अध्यादेश को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है।

Patrika Breaking: योगी सरकार के धर्म परिवर्तन वाले अध्यादेश को हाईकोर्ट में चुनौती, अनुच्छेद 21 के उल्लंघन का हवाला देते हुए रद्द करने की उठी मांग

Patrika Breaking: योगी सरकार के धर्म परिवर्तन वाले अध्यादेश को हाईकोर्ट में चुनौती, अनुच्छेद 21 के उल्लंघन का हवाला देते हुए रद्द करने की उठी मांग

लखनऊ. उत्तर प्रदेश में लव जिहाद के खिलाफ कानून लाने पर योगी सरकार ने अंतिम मुहर दे दी है। इसके तहत धर्मांतरण पर पांच साल और सामूहिक धर्म परिवर्तन करने पर 10 साल की सजा का प्रावधान है। योगी सरकार के धर्म परिवर्तन से जुड़े अध्यादेश को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। सौरभ कुमार की ओर से जनहित में याचिका दाखिल की गई है। याचिका में अध्यादेश को नैतिक रूप से अवैध बताते हुए उसे रद्द करने की मांग की गई है। याचिका में इस कानून के तहत उत्पीड़न पर रोक लगाने की मांग भी की गई है।
कोर्ट ने कही थी ये बात

याचिका में आरोप लगाया गया है कि सीएम योगी आदित्यनाथ ने 31 अक्टूबर 2020 को बयान दिया था कि यूपी सरकार लव जिहाद के खिलाफ कानून लाएगी। सीएम का मानना है कि मुस्लिम युवकों द्वारा हिंदू लड़की से शादी, धर्म परिवर्तन कराने के षड्यंत्र का हिस्सा है। एकल पीठ ने शादी के लिए धर्म परिवर्तन को अवैध करार दिया है। इसके बाद सीएम योगी का यह बयान आया है। हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने एकल पीठ के फैसले के विपरीत फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि दो बालिग शादी कर सकते हैं। प्रत्येक व्यक्ति को अपनी पसंद से जीवन साथी व धर्म चुनने का अधिकार है।
अनुच्छेद 21 का उल्लंघन करता है अध्यादेश

याचिकाकर्ता का कहना है कि अध्यादेश अनुच्छेद 21 का उल्लंघन करता है। याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि अध्यादेश सलामत अंसारी केस के फैसले के विपरीत है। याचिका में इस अध्यादेश को असंवैधानिक घोषित करने की मांग हाईकोर्ट से की।
क्या कहता है अनुच्छेद 21

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21 कहता है कि “किसी भी व्यक्ति को विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अतिरिक्त उसके जीवन और वैयक्तिक स्वतंत्रता के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है।” दरअसल, भारत का संविधान भाग III में जीवन का अधिकार (राइट टू लाइफ) और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार देता है। कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 द्वारा दिया गया है। यह अधिकार नागरिकों और गैर-नागरिकों दोनों के लिए उपलब्ध है।
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