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भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर से मायावती के डरने के यह हैं पांच कारण

locationलखनऊPublished: Aug 28, 2019 06:47:35 pm

Submitted by:

Hariom Dwivedi

– बसपा सुप्रीमो मायावती के लिये चुनौती बन रहे भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद- बसपा प्रमुख मायावती को बुआ कहकर संबोधित करने वाले चंद्रशेखर अब विरोध में कर रहे बयानबाजी

Chandrashekhar and mayawati

बसपा सुप्रीमो मायावती के चुनौती बन रहे भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद

लखनऊ. बसपा सुप्रीमो मायावती को अभी तक बुआजी कहने वाले भीम आर्मी के चंद्रशेखर अब खुलकर उनके विरोध करने लगे हैं। मायावती ट्विवटर और प्रेसवार्ता तक ही सीमित हैं, लेकिन चंद्रशेखर सड़कों पर उतरकर दलितों के मुद्दों को उठा रहे हैं। एससी-एसटी एक्ट का विरोध करना हो या फिर दिल्ली के तुगलकाबाद इलाके में संत रविदास की पुराने मंदिर को ध्वस्त करने का मामला, वह दलितों की आवाज बनने की कोशिश में हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के चंद्रशेखर ने जिस तरह से दिल्ली में दलितों के विराट प्रदर्शन का नेतृत्व किया, बसपा खेमे की बेचैनी बढ़ना स्वाभाविक है। इसे मायावती ने भी समझा और आनन-फानन में दलितों के प्रदर्शन को बाबा साहेब के उसूलों के खिलाफ बताकर प्रदर्शन का विरोध किया। बुधवार को मायावती ने पार्टी के बड़े पदाधिकारियों की बैठक बुलाई, जिसमें उन्हें फिर से पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित किया गया।
बसपा सुप्रीमो मायावती ने ट्वीट करते हुए कहा कि दिल्ली के तुगलकाबाद क्षेत्र में जो तोड़फोड़ आदि की घटनायें घटित हुई हैं वह अनुचित है। इससे बीएसपी का कुछ भी लेना-देना नहीं है। बीएसपी संविधान व कानून का हमेशा सम्मान करती है। बीएसपी के लोगों द्वारा कानून को अपने हांथ में नहीं लेने की जो परम्परा है वह पूरी तरह से आज भी बरकरार है, जबकि दूसरी पार्टियों व संगठनों के लिए यह आम बात है। संत रविदास जी के अनुयाइयों को कानूनी व तथागत गौतम बुद्ध के मार्ग से ही चलकर अपने हितों को साधना है। आइये जानते हैं कि ऐसे कौन से कारण हैं कि मायावती चंद्रशेखर से डरी हुई हैं और उन्हें खुद बार-बार मीडिया में आकर सफाई देनी पड़ रही है कि उनका भीम आर्मी से कुछ भी लेना-देना नहीं है।
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बसपा की दलित राजनीति के लिए खतरा
दिल्ली के तुगलकाबाद इलाके में संत रविदास के मंदिर को ध्वस्त किये जाने के मामले में जिस तरह से भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर के नेतृत्व में दलितों ने विराट प्रदर्शन किया, उन्हें बसपा की दलित राजनीति के लिए खतरा बताया जा रहा है। हालांकि, राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह इतना आसान नहीं होगा। मायावती ने लंबे राजनीतिक करियर में दलितों के बीच जो पैठ बनाई है, उसे हिला पाना इतना आसान नहीं होगा। हालांकि, चंद्रशेखर के राजनीतिक उभार ने बसपा प्रमुख को चिंतित जरूर कर दिया है।
दलितों का नया तारणहार बनने की कोशिश
कांशीराम के बाद बसपा पर नियंत्रण के लिए मायावती को बहुत कुछ करना पड़ा। उन्होंने बसपा में कभी दूसरी पांत का कोई नेता नहीं तैयार होने दिया। जिस भी नेता का पार्टी में कद बड़ा होता गया। वह पार्टी से बाहर होता रहा। इनमें नसीमुद्दीन सिद्दीकी, स्वामी प्रसाद मौर्य, जुगुल किशोर और आरके चौधरी जैसे कई प्रमुख नाम हैं। अब चंद्रशेखर न केवल दलितों के बीच सक्रिय हैं, बल्कि मायावती पर निशाना साधते हुए उन्हें कांशीराम की विरासत और बहुजन समाज आंदोलन के खिलाफ बता रहे हैं। चंद्रशेखर यूपी में दलितों का नया तारणहार बनने की कोशिश कर रहे हैं।
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भीम आर्मी पर कांग्रेस की भी नजर
भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर जहां मायावती के गले की फांस बने हुए हैं, वहीं कांग्रेस उनके जरिये यूपी में अपना खोया जनाधार पाने की जुगत में है। हालांकि, कांग्रेस की तरफ से इस ओर कोई बड़ी पहल नहीं की गई, लेकिन इसी वर्ष मार्च में जब कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा चंद्रशेखर से मिलने मेरठ के अस्पताल में गईं तो तमाम अटकलें शुरू हो गई थीं। उस वक्त प्रियंका ने चंद्रशेखर की तारीफ करते हुए कहा था कि इस मुलाकात के कोई राजनीतिक मायने नहीं हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि कांग्रेस पार्टी चंद्रशेखर के जरिये खोये दलित जनाधार को हासिल करने का प्रयास कर सकती है। इस खतरे को मायावती बखूबी समझती हैं, इसीलिए जब प्रियंका चंद्रेशेखर से मिलीं तो मायावती ने जमकर निशाना साधा था।
मायावती का खुलकर विरोध कर रहे चंद्रशेखर
अभी तक भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर कभी भी सार्वजनिक मंचों से मायावती की आलोचना नहीं करते थे, बल्कि उन्हें बुआ कहा करते थे। हालांकि, बदले में मायावती ने हमेशा उन्हें झिड़का ही। कहा कि वह किसी की बुआ नहीं हैं और न ही कोई उनका भतीजा है। लोकसभा चुनाव के बाद चंद्रशेखर के सुर माायवती के खिलाफ बदलने लगे। उन पर सपा से बेवजह गठबंधन तोड़ने और परिजनों को पार्टी में आगे बढ़ाने का आरोप लगाया। इतना ही भीम आर्मी के प्रमुख ने कहा कि मायावती अंबेडकर और बहुजन समाज आंदोलन से भटक गई हैं। दलितों के हितों को लेकर चंद्रशेखर सावधानी से मायावती पर निशाना साध रहे हैं।
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भीम आर्मी प्रमुख की बढ़ती महात्वाकांक्षा
बीते दिनों मे जिस तरह से भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर का राजनीतिक उभार हुआ है, वैसे ही उनकी महात्वाकांक्षा भी बढ़ गई है। इससे कतई इनकार नहीं किया जा सकता है। मायावती को हमेशा बहनजी कहकर संबोधित करने वाले चंद्रशेखर अब खुलकर विरोध कर रहे हैं। दिल्ली में दलितों के विराट प्रदर्शन की उन्होंने जिस तरह से अगुआई की है, भविष्य के चुनाव में वह मायावती के दलितों वोटबैंक में सेंधमारी कर सकते हैं। हालांकि, संसाधनों और संगठनात्मक पहुंच की कमी के चलते यह कर पाना इतना आसान नहीं होगा। बावजूद, मायावती उनकी बढ़ती महात्वाकांक्षा से आने वाले खतरे के प्रति सजग हैं।

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