scriptChandrayaan 2 Mission: लखनऊ-कानपुर के योदगान के बिना अधूरा था यह सफर, इस बेटी को मिली बड़ी जिम्मेदारी | Chandrayaan 2 mission uttar pradesh big contribution | Patrika News

Chandrayaan 2 Mission: लखनऊ-कानपुर के योदगान के बिना अधूरा था यह सफर, इस बेटी को मिली बड़ी जिम्मेदारी

locationलखनऊPublished: Jul 14, 2019 05:46:32 pm

Submitted by:

Abhishek Gupta

– चंद्रयान को सही रास्ता दिखाएगा कानपुर आइआइटी- मिशन की डायरेक्टर हैं लखनऊ की रितु कारिधाल

Mission Indrayaan 2

Mission Indrayaan 2

लखनऊ. सोमवार को जब आप नींद से उठेंगे तो चंद्रयान 2 (Chandrayaan 2) अपने मिशन पर निकल चुका होगा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की कड़ी महनत के बाद भारत के इस महत्वकांक्षी मिशन को पूरा किया जा रहा है। और इसमें लखनऊ और कानपुर के योगदान का यदि जिक्र न हो तो बेईमानी होगी। उत्तर प्रदेश के लिए कई मायने में वह पल बेहद खास होगा जब चांद पर चंद्रयान उतरेगा। दरअसरल इस मिशन की डायरेक्टर लखनऊ की बेटी इसरो की सीनियर साइंटिस्ट रितु करिधाल श्रीवास्तव (Ritu Karidhal Srivastava) है। वहीं चंद्रयान को चांद पर पहुंचकर सही दिशा दिखे व उसकी पूरी सतह का ठीक से आंकलन हो सके, इसकी जिम्मेदारी कानपुर आईआईटी ने अपने कंधों पर उठाई है।
कानपुर आईआईटी का है अहम योगदान-

इसरो ने चंद्रयान 2 के प्रशिक्षण के साथ ही देश में नया इतिहास रचा है। इस इतिहास में कानपुर आईआईटी का बडा़ योगदान है। चांद की सतह पर पानी, खनिज व अन्य खोजों के लिए जो प्रज्ञान भेजा गया है, उसकी मैप डिजाइनिंग और रूट प्लानिंग का काम कानपुर आईआईटी ने ही किया है। कानपुर आईआईटी के प्रोफेसर आशीष दत्ता व केएस वेंकटेश ने यह यंत्र तैयार किया है।
Chandrayaan 2 Mission
पत्रिका से बातचीत में उन्होंने कहा कि 2010 में आईआईटी कानपुर ने इसरो से एमओयू साइन किए गए थे, जिसमें ऐसा सॉफ्टवेयर के बनाने के लिए कहा गया था जिससे चंद्र की सतह की बारे में जाना जा सके। आईआईटी कानपुर द्वारा तैयार किए गए इस सॉफ्टवेयर के जरिए चंद्रमा पर यह जानकारी प्राप्त हो सकेगी कि कौन सा मार्ग सुरक्षित है व कहां पर कम एनर्जी की जरूरत है। इसी के साथ ही एक मिकेनिज्म तैयार किया गया है। या यूं कहे कि एक ऐसा यंत्र है जिस पर आसानी से चढ़ा और उतरा जा सकेगा। इसे भी इसरो के हवाले कर दिया गया है। इसमें छह पाहिए है और चांद की सहत यह आसानी से चल सकता है। साथ ही प्रज्ञान में जो सॉफ्टवेयर लगाया गया है, उससे चंद्रमा में दिशा दिखाई देगी। इससे वहां की सतह को परखा जाएगा। इसी के साथ लेजर लाइट और कैमरे दिशा तय करेंगे। साथ ही उनकी तस्वीरें इसरो के भेजी जाएंगी, जिसे देख कर वैज्ञानिक यह तय करेंगे कि ऐसे कौन से रूट हैं, जो सुरक्षित हैं और जहां आसानी से पहुंचा जा सकेगा।
Chandrayaan 2 Mission
लखनऊ की बेटी को है गर्व-

इस मिशन को सफल बनाने के पीछे सबसे बड़ा योगदान लखनऊ की बेटी रितु करिधाल श्रीवास्तव का है, जो इस मिशन की डायरेक्टर हैं व इसरो की सीनियर साइंटिस्ट हैं। लखनऊ के राजाजीपुरम की रहने वाली रितू का मानना है कि ज्यादा कुछ कहने से अच्छा है कि हम देश के इस मिशन की सफलता के लिए दुआ करें। रितू के माता-पिता का निधन हो चुका है। उनके भाई है जिन्हें अपनी बहन पर नाज है। रितु में तारों के पीछे की दुनिया को लेकर हमेशा उत्सुकता रही है। वह विचार करती थीं कि अंतरिक्ष के अंधेरे के उस पार क्या है। विज्ञान मेरे लिए विषय नहीं जुनून था। रितु ने इसरो में कई अहम प्रोजेक्ट किए पर मंगलयान की डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर के रूप में वह इस मिशन को सबसे बड़ी चुनौती मानती हैं। वह कहती हैं कि देश के साथ पूरा विश्व हमारी ओर देख रही थी। हमारे पास कोई अनुभव नहीं था, लेकिन सैकड़ों वैज्ञानिकों की टीम ने मिलकर हमने वह भी कर दी।
करिधाल की जूनियर ने की तारीफ-

1987 बैच से रितु कारिधाल की जूनियर व सेंट अन्जनिस की मैनेजर तनु सक्सेना ने बताया कि रितु कारिधाल श्रीवास्तव के स्पेस साइंस से योगदान को एक बड़ी उपलब्धि के रूप में गिना जाएगा। उन्होंने कहा कि चंद्रयान 2 कमिशन डायरेक्टर के रूप में, मंगलयान के डिप्टी डायरेक्टर के रुप में व इसरो में रितु ने बहुत मेहनत की है। वे हमेशा से बहुत कर्मठ रही हैं और सभी उनकी कर्मठता और खुशमिजाज स्वाभाव के कायल रहे हैं। रितु जिस मुकाम पर हैं, वहां पहुंच पाना उनके लिए मुश्किल होता क्योंकि उस दौर में जब लड़कियों के लिए एक सीमित दायरा तय किया जाता था कि वे ज्यादा पढ़ लिखकर क्या करेंगी, उस समय में रितु के पिता ने उनपर भरोसा जताया और एक ऐसी फील्ड में जाने की अनुमति दी, जहां लड़कियों के काम करने की कल्पना कम ही लोग करते हैं।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो