यह है पूरा मामला 2007 से 2012 तक अपने कार्यकाल के दौरान मायावती ने कई स्मारकों की स्थापना कराई थी। मायावती ने लखनऊ-नोएडा में अम्बेजकर स्मारक परिवर्तन स्थल, मान्यवर कांशीराम स्मारक स्थल, ईको पार्क, गौतमबुद्ध उपवन, रमाबाई अम्हेडकर मैदान और स्मृति उपवन समेत पत्थरों के कई स्मारक बनवाए थे। इन स्मारकों पर सरकारी खजाने से 41 अरब 48 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। आरोप था कि इन स्मारकों के निर्माण में बड़े पैमाने पर घपला कर सरकारी रकम का दुरुपयोग किया गया है। सत्ता परिवर्तन के बाद इस मामले की जांच यूपी के तत्कालीन लोकायुक्त एनके मेहरोत्रा को सौंपी गई थी। लोकायुक्त ने 20 मई 2013 को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में 14 अरब, 10 करोड़, 83 लाख, 43 हजार का घोटाला होने की बात कही थी। वहीं, लोकायुक्त की जांच रिपोर्ट में कुल 199 लोग आरोपी माने गए थे। इसमें तमाम विधायक और अफसर शामिल थे।
अखिलेश सरकार ने विजिलेंस को सौंपी थी जांच तब की अखिलेश सरकार ने लोकायुक्त द्वारा इस मामले में सीबीआई या एसआईटी जांच कराए जाने की सिफारिश को नजरअंदाज करते हुए जांच सूबे के विजिलेंस डिपार्टमेंट को सौंप दी थी। विजिलेंस ने एक जनवरी साल 2014 को गोमती नगर थाने में नसीमुद्दीन सिद्दीकी और बाबू सिंह कुशवाहा समेत 119 नामजद व अन्य अज्ञात के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर अपनी जांच शुरू की थी।