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chhath puja 2018 : जानिए क्या है छठ पर्व का महत्व, मान्यता, मुहूर्त और पूजा की विधि

locationलखनऊPublished: Nov 11, 2018 08:03:24 pm

Submitted by:

Ashish Pandey

चतुर्थी तिथि से शुरू होकर सप्तमी तिथि तक चलने वाला यह त्यौहार सभी मनोकामनाओं को पूरा करने वाला है।

chhath puja

chhath puja 2018 : जानिए क्या है छठ पर्व का महत्व, मान्यता, मुहूर्त और पूजा की विधि

लखनऊ. छठ को वैसे तो मूलत: बिहार का त्यौहार माना जाता है, लेकिन अब इस कई प्रदेशों तक फैल गया है। छठ पूजा का विशेष महत्व है। कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी को छठ की पूजा की जाती है। चार दिनों तक चलने वाले इस व्रत को पूर्वांचल यानी पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और नेपाल की तराई में खास तौर पर मनाया जाता है। इस व्रत में शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है। इस बार छठ मंगलवार यानी 13 नवंबर को है।
क्या है त्यौहार की मान्यता
हमारे देश में सूर्य को भगवान मानकर उनकी उपासना करने की परंपरा ऋग्वैदिक काल से चली आ रही है। ऐसी मान्यता है की सूर्य भगवान की नजर पृथ्वी के कण-कण में पड़ती है, उनकी नजरों से कोई भी बच नहीं सकता। वह धरती पर हो रहे प्रत्येक घटनाक्रम के एकमात्र साक्षी हैं। जो लोग सूर्य अराधना नहीं करते भगवान उनसे नाराज हो जाते हैं। चतुर्थी तिथि से शुरू होकर सप्तमी तिथि तक चलने वाला यह त्यौहार सभी मनोकामनाओं को पूरा करने वाला है। खासतौर पर निरोग काया एवं संतान प्राप्ति के लिए यह बहुत ही कारगर पूजन है। यदि इस पूजन को शुभ मुहूर्त पर किया जाए तो इसका फल आपको दोगुना मिलता है।
अघ्र्य देने की विधि
व्रत में अघ्र्य देने के लिए बांस के सूप में पूजन सामग्री पहले भर लें और उसे पीले कपड़े से ढ़क दें। उसके बाद ढलते सूर्य को तीन बार अघ्र्य दें। तांबे के पात्र में जल भरकर उसमें लाल चंदन, कुमकुम और लाल रंग के फूल डालकर अघ्र्य दें। स्वयं की ऊंचाई के बराबर तांबे के पात्र को ले जाएं सूर्य मंत्रों का जाप करें।
पूजा की तारीख और मुहूर्त
नहाय-खाए- 11 नवंबर, खरना (लोहंडा)- 12 नवंबर, 13 नवंबर 2018, मंगलवार के दिन षष्ठी तिथि का आरंभ 01:50 मिनट पर होगा, जिसका समापन 14 नवंबर 2018, बुधवार के दिन 04:21 मिनट पर होगा।
छठ व्रत के लाभ
-ऐसी मान्यता है कि घर का कोई एक सदस्य भी यह व्रत रखता है।
-छठ पर्व पर पूरे परिवार को तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए।
-इस व्रत मेंस्वच्छता और सात्विकता का ध्यान रखना चाहिए।
-जिन्हें संतान है वे भी संतान की लम्बी आयु के लिए इस व्रत को रखते हैं।
-ऐसा माना जाता है कि जिन्हें संतान नहीं हो रहा है उन्हें यह व्रत करने से संतान की प्राप्ति होती है।
-छठ व्रत के बारे में मान्यता है कि इस व्रत को करने से संतान प्राप्ति होती है। संतान प्राप्ति के लिए इस व्रत को बेहद लाभकारी माना गया है।
बहुत ही फलदायी देने वाला व्रत है
ज्योतिष के अनुसार जिनकी कुंडली में सूर्य अच्छी स्थिति में नहीं है, उन्हें इस व्रत को करने से अत्यधिक लाभ होता है। इस व्रत को रखने से कुष्ठ जैसे असाध्य रोग का समाधान होता है। छठ व्रत बहुत ही फलदायी देने वाला व्रत है। इस व्रत से मनुष्य के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।

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