मालूम हो कि Purvanchal के गन्ना बेल्ट की बस्ती जिले की उक्त मिल 1998 में बंद कर दी गयी। मिल बंद होने के साथ ही इससे जुड़े हजारों किसानों और व्यापारियों की खुशी भी छिन गयी। इसके विरोध में चले लंबे आंदोलन के दौरान 2002 में तीन किसान भी शहीद हो गये।
2017 में सरकार के मुखिया के रूप में Yogi ने बंद पड़ी चीनी मिलों को दुबारा चालू करने और पुरानी मिलों की क्षमता बढ़ाने के एजेंडे पर प्राथमिकता से काम करना शुरू किया। मार्च 2018 में Chief Minister ने मुंडेरवा चीनी मिल का शिलान्यास किया। उसी समय उन्होंने घोषणा की कि 383 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली इस मिल की क्षमता 5000 टीडीसी की होगी। बनने वाली चीनी सल्फर मुक्त होगी। मिल में 27 मेगावाट का कोजेन प्लांट भी होगा। मिल रिकॉर्ड 12 महीने में बन कर तैयार होगी।
हुआ भी यही। अप्रैल 2019 में इस मिल का ट्रायल हो चुका है। 21 नवंबर को उद्घाटन के बाद विधिवत इस मिल का संचालन होने लगेगा। गत दिनों Chief Minister इतनी ही क्षमता की पिपराइच गोरखपुर चीनी मिल का भी उद्घाटन कर चुके हैं।
लौट आएगी Purvanchal के गन्ने की मिठास मालूम हो कि पूर्वांचल एवं गन्ने की खेती का चोली-दामन का रिश्ता रहा है। इस रिश्ते और Purvanchal में गन्ने की खेती की अहमियत को सबसे पहले अंग्रेजों ने समझा था। यही वजह है कि यहां की अधिकांश चीनी मिलें ब्रिटिश काल (1910-1930) में स्थापित हुईं। देखते-देखते इनकी संख्या 31 तक जा पहुंची।
पूरे Purvanchal में दूर-दूर तक लहराते गन्ने के खेत और चीनी मिलों का धुंआ खुशहाली का प्रतीक था। तब किसानों को मिलों से मिली पर्ची नकदी मानी जाती थी। स्थानीय व्यापारी इनके बिना पर किसानों को इतनी उधारी दे देते थे कि वे बेटी के हाथ तक पीले कर लेते थे। छोटी मोटी जरूरतों की तो कोई बात ही नहीं थी।
कई वजहों से दो दशक पहले टूट गया ये रिश्ता दो दशक से कुछ अधिक हुए। Purvanchal और गन्ने का रिश्ता टूट गया। गन्ने की मिठास क्या गायब हुई यहां की खुशहाली पर भी नजर लग गई। कभी चीनी के कटोरा माने जाने वाले Purvanchal की पहचान देश के सबसे पिछड़े इलाके में होने लगी।
इसके पीछे कई वजहें थीं। मसलन-समय के अनुसार मिलों ने आधुनिक तकनीक को नहीं अपनाया। किसानों का मिलों पर बकाया लगना शुरु हुआ तो वह लाखों करोड़ रुपये तक पहुंच गया। बकाया लगा तो किसानों ने गन्ने की खेती से किनारा कर लिया। ऐसे में किसानों सारी उम्मीदें योगी से थीं।
Chief Minister Yogi Adityanath इसे पूरा भी किया। गन्ने की रिकार्ड पेराई एवं भुगतान। बंद चीनी मिलों की जगह आधुनिक चीनी मिलों की स्थापना, पुरानी चीनी मिलों का क्षमता विस्तार आदि इसके सबूत हैं। इस क्रम में अब तक-मिलों की क्षमता बढ़ाई जा चुकी है। इनमें से -मिलें तो Purvanchal की हैं। बाकी के क्षमता विस्तार की कार्ययोजना बन चुकी है। हर मिल में बिजली में आत्मनिर्भर होने के साथ एथनॉल भी बनाएगी।