Child Marrige cases in UP every fifth girl gets married at young age- बाल विवाह (Chhild Marriage) प्रजनन क्षमता को बढ़ाकर जनसंख्या वृद्धि में योगदान देता है और ऐसी स्थिति में अगर शिक्षा गुणवत्ता परक न हो, रोजगार के अवसर सीमित हों, स्वास्थ्य व आर्थिक सुरक्षा के साधन उपलब्ध न हों तो अत्यधिक आबादी एक अभिशाप का रूप धारण कर सकती है।
Child Marrige cases in UP every fifth girl gets married at young age
लखनऊ. Child Marrige cases in UP every fifth girl gets married at young age. बीते दिनों योगी सरकार ने जनसंख्या नीति लागू की थी। योगी सरकार का कहना है कि बढ़ती आबादी विकास में बाधा होती है। योगी सरकार के इस फैसले को जहां जनसंख्या नियंत्रित करने में बड़ा कदम माना जा रहा है, तो दूसरी ओर इसके जरिये बाल विवाह (Child Marriage) खत्म होने की उम्मीद लोगों में जगी है। बाल विवाह प्रजनन क्षमता को बढ़ाकर जनसंख्या वृद्धि में योगदान देता है और ऐसी स्थिति में अगर शिक्षा गुणवत्ता परक न हो, रोजगार के अवसर सीमित हों, स्वास्थ्य व आर्थिक सुरक्षा के साधन उपलब्ध न हों तो अत्यधिक आबादी एक अभिशाप का रूप धारण कर सकती है। बाल विवाह किसी भी बच्चे को अच्छी शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण के अधिकार से वंचित रखता है। आजादी के 74 साल बाद भी बाल विवाह पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-2016 के अनुसार आज भी 18 साल से कम उम्र की 21 फीसदी लड़कियों की शादी करा दी जाती है। यह प्रचलन छोटे शहरों में ज्यादा है। इसी तरह 15 से 19 साल उम्र की करीब चार फीसदी युवतियां मां बन जाती हैं। एक अन्य बात यह भी सामने आया है कि महामारी और उसके बाद लॉकडाउन ग्रामीण इलाकों में बाल विवाह के नए कारण साबित हुए हैं।
54 फीसदी युवतियों में एनीमिया देश में बाल विवाह पर रोक संबंधी कानून पहली बार 1929 में पारित किया गया था। इसके बाद समय-समय पर इसमें संशोधन किया गया। बाल विवाह जैसी कुप्रथा का उन्मूलन सतत विकास लक्ष्य-5 (SDG-5) का हिस्सा है। यह लैंगिक समानता प्राप्त करने व सभी महिलाओं और लड़कियों को सशक्त बनाने से संबंधित है। सर्वे में यह भी खुलासा हुआ है कि कम उम्र में शादी होने के चलते युवतियों को कई तरह की दुश्वारियों का सामना करना पड़ता है। 15 से 19 साल की उम्र में मां बनने वाली 54 फीसदी युवतियों में एनीमिया पाया गया है। 15 वर्ष से कम आयु की लड़कियों में मातृ मृत्यु का जोखिम अधिक रहता है। इसके अलावा बाल वधुओं पर हृदयाघात, मधुमेह, कैंसर, स्ट्रोक आदि का खतरा 23 प्रतिशत बढ़ जाता है। साथ ही उनका मानसिक स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है।
30 फीसदी लड़कों की शादी 21 की आयु से पहले सर्वे के मुताबिक प्रदेश में लगभग 30 फीसदी लड़कों की शादी 21 साल से पहले हो जाती है। राज्य में सिर्फ केवल 27.5 फीसदी लड़के और 24.6 फीसदी लड़कियों को यौन और प्रजनन संबंधी जानकारी हैं। सर्वे में यह बात भी सामने आई कि आर्थिक और स्वास्थ्य से जुड़े मामले में सिर्फ 59.6 फीसदी लोगों से राय ली जाती है। नई जनसंख्या नीति में महिलाओं को जागरूक और स्वावलंबी बनाने की तैयारी है। इसके जरिए यह प्रयास किया जाएगा कि विभिन्न मामलों में वर्ष 2026 तक 65 फीसदी और वर्ष 2030 तक 75 फीसदी महिलाएं अपनी राय देने लगें।
तेजी से घट रहा है प्रदेश में लिंगानुपात, पहुंचा 902 पर प्रदेश सरकार का लक्ष्य है कि बाल लिंगानुपात 2026 तक 905 और 2030 तक 919 तक पहुंच जाए। लेकिन स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार वर्तमान समय में प्रदेश में बाल लिंगानुपात तेज से घट रहा है। बाल लिंगानुपात घटकर 902 पर आ गया है। परिवार कल्याण महानिदेशक डॉ. लिली सिंह कहती हैं कि जनसंख्या नीति गारी कर ग्रामीण इलाकों पर अधिक फोकस दिया जा रहा है। इसके लिए परिवार कल्याण महानिदेशालय ने ग्रामीण इलाके के अल्ट्रासाउंड केंद्रों की मॉनिटरिंग बढ़ाने की रणनीति बनाई है। बालिकाओं के इलाज व देखभाल पर भी फोकस होगा। साथ ही कॉलेजों और विभिन्न समुदायों में जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। नई जनसंख्या नीति के प्रावधानों का असर पांच साल बाद दिखने लगेगा।