संघोष्ठी को संबोधित करते हुए डॉ आशुतोष ने कहा कि आज के दौर में नवजात बच्चों की मृत्यु दर लगातार बढ़ रही है जिसका मुख्य कारण है नवजात बच्चों की खास देख रेख ना हो पाना। उन्होंने कहा कि आज के समय मे ज्यादातर ये देखने को मिलता है कि बच्चे में पैदा होते ही माँ उसे ये कहते कि मेरे दूध नही उत्तर रहा है नवजात को बाहर का दूध देना शुरू कर देती है जो नवजात के स्वस्थ के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक होता है क्योंकि बाहर के दूध में बच्चे के विकास के आवश्यक तत्व नही मिलता। इसलिए हर मा को चाहिए कि वो अपने नवजात बच्चें को वो अपना दूध पिलायें।
इसी बात को आगे बढ़ाते हुए पीजीआई की बाल रोग विशेषज्ञ डॉ प्याली भट्टाचार्य ने ब्रेस्टफीडिंग पर जोर देते हुए माह कि आज के समय मे यूरोपियन सोच से प्रभावित होने के कारण ज्यादातर संभ्रांत परिवारों की पीढ़ी लिखी महिलाएं ब्रेस्टफीडिंग से दूर भागती है। उन्हें लगता है कि ब्रेस्टफीडिंग से उनका फिगर खराब हो जायेगा जबकि वास्तविकता ये है कि ब्रेस्ट फीडिंग ना होना महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के होने का प्रमुख कारण हैं। डॉ प्याली ने कहा कि लगातार जागरूकता के चलते अब महिलाओं की ये सोच बदल रही है पर अभी भी स्थिति उतनी अच्छी नही है जितनी होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि वास्तव ब्रेस्टफीडिंग न केवल नवजात बच्चें को स्वस्थ करती है अपितु वो प्रेग्नेंसी में दौरान माँ में जमा हो चुके एक्सट्रा फैट को भी खत्म करती है। इसलिए ये कहना ब्रेस्ट फीडिंग से फिगर गड़बड़ हो जाता है पूरी तरीके से गलत है।
उन्होंने कहा कि बात सिर्फ इतनी ही नही है। ब्रेस्टफीडिंग से नवजात को उसका पूरा आहार मिलता है क्योंकि ब्रेस्टफीडिंग का सीधा कनेक्शन दिमाग से होता है जैसे ही बच्चा ब्रेस्ट को फीड करता है वैसे ही दिमाग को सिंगल मिलता है कि बच्चे को दूध चाहिए और वो दूध को प्रवाहित करने लगता है पर इसके लिए ये जरूरी है कि माँ खुद भी ब्रेस्टफीडिंग के लिए मानसिक तौर पर तैयार रहे। इस मौके पर डफरिन अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डर सलमान ने कंगारू फैमिली केयर के विषय मे जानकारी दी।
संघोष्ठी के अंत मे मीडिया से बात करते हुए डॉ आशुतोष ने कहा कि हमारी सेंटर द्वारा हर महीने की 20 तारिख को जरूरतमंद इलाकों में फ्री मेडिकल कैम्प आयोजित होता है जिसमे हम नवजात बच्चों व उनकी माँ का जरूरी चीजें उपलब्ध कराते है जिसमे जांच से लेकर दवाई तक हर चीज शामिल होती है।