दूध के दांतों की देखभाल जरूरी लखनऊ के ओम चाइल्ड केयर के डॉक्टर उत्कर्ष बंसल के मुताबिक, आमतौर पर दूध के दांतों की हिफाजत नहीं की जाती। दूध के दांतों को छह साल की उम्र तक हिफाजत की बहुत जरूरत होती है। इस उम्र में दांतों की ज्यादातर बीमारी होती है। यह समस्या दूध के दांत टूटने के साथ खत्म नहीं होती बल्कि नए दांत आने के बाद इंफेक्शन के जरिए बढ़ने का खतरा भी रहता है।
इस तरह खराब होते हैं दांत आमतौर पर बच्चों को रात में बोतल में दूध पिलाने के बाद सुला दिया जाता है। यह रूटीन बच्चों की सेहत को बनाने के साथ-साथ उनके दांतों को खराब करता है। बैक्टिरिया दांतों में जमे दूध के साथ मिलकर एसिड बन जाता है। इससे सड़न, कीड़े लगना और कैविटी की समस्या उत्पन्न होती है। इसे हल्के में लेने की जरूरत नहीं होती क्योंकि यह समस्या जिंदगीभर तक हो सकती है। दूध के दांत अगर खराब हो जाएं, तो नए दांत आने के बाद उनका इंफेक्शन इसमें फैलने का डर रहता है। एक दांत टूटने के बाद भी इंफेक्शन दूसरे दांतों में रह जाता है। फिर कैविटी, कीड़ा लगना और सड़न की परेशानी ताउम्र बच्चे को परेशान कर सकती है।
बच्चों में होती है ये समस्या दांतों में परेशानी होने पर दर्द होना आम बात है। लेकिन कई बार पैरेंट्स को बच्चे की परेशानी का ठीक से पता नहीं लगता। बच्चे को बलने में समस्या, तुतला कर बोलना या खाने पीने में दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है। कई बीमारियों में दांत पीले तक पड़ जाते हैं।
इन बातों से रखें बच्चे के दांतों का ख्याल रात को सोने से पहले बच्चे को फ्लोराइट टूथपेस्ट से ब्रश कराएं। बच्चे को लगातार खाते रहने की आदत से बचाएं। इससे भी दांत खराब होने का खतरा रहता है।