मार्च 2017 में गिरफ्तार हुए थे गायत्री प्रजापति बता दें कि चित्रकूट की एक महिला और उसकी बेटी के साथ सामूहिक दुष्कर्म के आरोप में पुलिस ने 18 मार्च 2017 को सपा सरकार में मंत्री रहे गायत्री प्रजापति को गिरफ्तार किया था। पुलिस ने पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति के अलावा उनके साथ रहे आशीष शुक्ला और अशोक तिवारी को गिरफ्तार किया था। जांच के बाद यह मामला ट्रायल के लिए एमपी/एमएलए कोर्ट को ट्रांसफर कर दिया गया था। कोर्ट ने इसी मामले में आरोपी रहे अमरेंद्र सिंह उर्फ पिंटू सिंह, विकास वर्मा, चंद्रपाल व रुपेश्वर उर्फ रुपेश को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया है। इन सभी के खिलाफ पुलिस ने कोर्ट में चार्जशीट दाखिल किया था। सभी आरोपी जेल में बंद हैं।
एमपी/एमएलए कोर्ट ने 2-2 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गुरुवार को एमपी/एमएलए कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया था और शुक्रवार को सजा सुनाने का एलान किया था। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद शुक्रवार को पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति, उनके साथी आशीष शुक्ला और अशोक तिवारी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। कोर्ट ने तीनों आरोपियों पर दो-दो लाख रुपए का जु्र्माना भी लगाया।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर दर्ज हुआ था मुकदमा कोर्ट में सरकारी वकीलों ने बताया कि चित्रकूट की पीड़ित महिला ने 18 फरवरी, 2017 को लखनऊ के गौतम पल्ली थाने पर रिपोर्ट दर्ज कराई थी। आरोप लगाया था कि सपा सरकार में खनन मंत्री रहे गायत्री प्रजापति समेत सभी आरोपियों ने उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया और उसकी नाबालिग बेटी के साथ भी दुष्कर्म का प्रयास किया।
रिपोर्ट में कहा गया था कि खनन का कार्य दिलाने के लिए आरोपियों ने महिला को लखनऊ बुलाया। इसके बाद कई जगहों पर उसके साथ दुष्कर्म किया गया। महिला का आरोप है कि उसने घटना की विस्तृत रिपोर्ट पुलिस महानिदेशक को सौंपी, लेकिन कोई कार्रवाई न होने पर सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दाखिल की। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने आरोपियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने का आदेश दिया था।