scriptजंगली जानवरों के लिए मौत का ट्रैक बना मुंबई-हावड़ा रेल मार्ग | Chitrakoot Wild Animals Mumbai Howrah Rail Route Death | Patrika News

जंगली जानवरों के लिए मौत का ट्रैक बना मुंबई-हावड़ा रेल मार्ग

locationलखनऊPublished: Jan 06, 2020 02:10:58 pm

Submitted by:

Mahendra Pratap

एक नहीं कई बाघ, भालू, तेंदुआ जैसे कई दुर्लभ जानवर काल के गाल में समा चुके हैं

जंगली जानवरों के लिए मौत का ट्रैक बना मुंबई-हावड़ा रेल मार्ग

जंगली जानवरों के लिए मौत का ट्रैक बना मुंबई-हावड़ा रेल मार्ग

चित्रकूट. मुंबई-हावड़ा रेलमार्ग दुर्लभ जंगली जानवरों के लिए मौत का ट्रैक बन गया है। घने बीहड़ों से होकर गुजरने वाले इस रेल मार्ग के मानिकपुर (चित्रकूट)-सतना (मध्य प्रदेश) रेलखंड पर अक्सर जंगली जानवरों को तेज रफ्तार ट्रेन कुचल देती है। एक नहीं कई बाघ, भालू, तेंदुआ जैसे कई दुर्लभ जानवर इसी तरह काल के गाल में समा चुके हैं। न तो वन विभाग और न ही रेल प्रशासन इन घटनाओं पर ध्यानाकर्षण की जहमत उठा रहा है।
मानिकपुर-सतना रेलखंड पर मारकुंडी-टिकरिया रेल मार्ग पर रविवार देर रात एक तेंदुआ की ट्रेन की चपेट में आने से मौत हो गई। तेंदुए का सिर धड़ से अलग हो गया। घटना की जानकारी होने पर मौके पर पहुंचे वन विभागकर्मी तेंदुए के शव को मारकुंडी रेंज ले गए जहां शव का पोस्टमार्टम किया जाएगा। दुर्लभ जंगली जानवर की मौत से एक बार फिर इन विलुप्त होते जीवों के सरंक्षण पर सवालिया निशान लग गया है कि आखिर क्यों वन विभाग की ओर से कोई उचित कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।
यह कोई पहला हादसा नहीं जब कोई जानवर ट्रेन की चपेट में आया हो। अक्सर इस तरह की घटनाएं मानिकपुर-सतना रेलखंड पर होती रहती हैं। इससे पहले भी बाघ, भालू, तेंदुआ व कई अन्य जंगली जानवर रेल ट्रैक पर हादसे का शिकार हो चुके हैं। अभी कुछ दिन पहले इलाके में एक बाघ व बाघिन तथा उनके दो शावकों के विचरण की जानकारी मिली थी जिसके मद्देनजर रेल प्रशासन ने इस मार्ग से गुजरने वाली ट्रेनों को धीमी गति से गुजारने का निर्देश दिया था। ऐसा नहीं कि रेलवे किसी दुर्लभ जंगली जानवर के विचरण की जानकारी पर सावधानी नहीं बरतता लेकिन दिन में तो ये जंगली जानवर दिख भी जाते हैं परन्तु रात में मुश्किल होती है इन्हें देख पाना इसलिए ट्रेनों के औसत गति से भी कम गति से निकलने के बावजूद ये जानवर ट्रेन की चपेट में आ जाते हैं हालांकि हमेशा इस रूट पर ऐसा नहीं होता कि ट्रेन को धीमी गति से गुजारा जाए।
दरअसल मुंबई-हावड़ा रेल मार्ग का जंगली इलाका मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व से लगा हुआ है, इसलिए अक्सर बाघ बाघिन तेंदुआ भालू जैसे दुर्लभ जानवर चित्रकूट रेंज में विचरण करते हुए आ जाते हैं। करीब चार साल पहले इसी रेल मार्ग पर ट्रेन की चपेट में आकर बाघ की मौत हो गई थी। पिछले वर्ष एक भारी भरकम अजगर इसी तरह मौत के मुंह में चला गया था। लगभग दो महीने पहले एक भालू की मौत भी इसी तरह के हादसे में हुई थी।
इस पूरे मामले में प्रभागीय वनाधिकारी चित्रकूट कैलाश प्रकाश का कहना है कि रेल ट्रैक घने जंगलों से रेंज से होकर गुजरता है और रात में जानवर ट्रैक पर आ जाते हैं। रेलवे अधिकारियों से बात कर एहतियात बरतने के लिए कहा जाएगा कि इस मार्ग पर ट्रेनों को धीमी गति से निकाला जाए। तेंदुए के शव का पोस्टमार्टम कराया जाएगा।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो