लखनऊ, कॉलरा या हैजा एक संक्रामक बीमारी है, जो वाईब्रियो कॉलेरी बैक्टीरिया से फैलता है। मनुष्य में इसका संचरण दूषित भोजन या पानी के सेवन से होता है। कॉलरा में मरीज उल्टी और दस्त से पीड़ित होता है । उल्टी और दस्त के कारण शरीर में पोषण और पानी की कमी हो जाती है। यदि समय पर इसका उपचार न किया जाये तो शरीर में अत्यधिक पानी और लवण की कमी से स्थिति गंभीर बन सकती है । रानी अवन्तीबाई जिला महिला चिकित्सालय के बाल रोग विशेषज्ञ डा. सलमान का कहना है – कॉलरा के प्रमुख लक्षण हैं- उल्टी, दस्त और पैरों में ऐंठन। इसके साथ ही हृदय गति का बढ़ना, ज्यादा प्यास लगना, ब्लड प्रेशर कम होना और त्वचा का लचीलापन जैसी समस्या भी हो सकती है।
यह बीमारी उन स्थानों पर फैलती है जहाँ साफ – सफाई की समुचित व्यवस्था नहीं होती है । इसके साथ ही भीड़भाड़ , बाढ़ या अकाल ग्रसित क्षेत्रों में भी यह बीमारी महामारी के रूप में फ़ैल सकती है । दूषित पानी पीने, खुले में बेचे जाने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करने और मानव अपशिष्ट युक्त पानी से उगाई हुयी सब्जियों को बिना धुले खाने से इस बीमारी की समस्या हो सकती है । खुले में शौच से यह बीमारी होती है क्योंकि इससे भोजन और पानी दूषित होते हैं ।
डा. सलमान का कहना है कि कॉलरा से बचाव का एक प्रमुख तरीका साफ – सफाई रखना है । फलों और सब्जियों को अच्छे से धोकर ही खाएं। नाख़ूनों को हमेशा छोटा रखें और उन्हें समय-समय पर काटते रहें। ऐसा न करने से नाखूनों के अन्दर गंदगी जमा हो जाती है और यह भोजन के साथ शरीर में पहुँच जाती है। बाजार में खुले में बिक रहे खाद्य पदार्थों का सेवन न करें और दूषित पानी न पियें। पानी को हमेशा उबालकर और फिर छानकर ठंडा कर पियें। साफ़ बर्तन में पानी को रखें और साफ़ बर्तन में ही पियें । घर का बना अच्छे से पका भोजन ही करें। हाथ धोने की आदत विकसित करें और बच्चों में भी हाथ धोने की आदत को सुनश्चित करें। खाना बनाने, खाने और बच्चे को स्तनपान कराने से पहले व शौच के बाद अपने हाथों को साबुन और पानी से अच्छी तरह अवश्य धुलें । बार – बार हाथ धोने की आदत कोरोना से भी बचाएगी। उल्टी दस्त होने पर प्रशिक्षित चिकित्सक को ही दिखाएँ अपने आप से इलाज न करें ।
कॉलरा के उपचार में मौखिक निर्जलीकरण घोल (ओआरएस) का सेवन फायदेमंद होता है । यह शरीर में पानी और नमक की कमी को पूरा करता है । इसके साथ ही गंभीर स्थिति में इंट्रा वेनस फ्लूड्स यानि तरल पदार्थों को शरीर में नसों के जरिये पहुंचाया जाता है। बाल रोग विशेषज्ञ बताते हैं- रैपिड कॉलरा डिपस्टिक टेस्ट से इस बीमारी की पहचान की जाती है |
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