scriptचुनाव आयोग कर रहा विचार, अखिलेश और मुलायम के लिए कुछ घंटे का बचा है इन्तजार | Chunav ayog will declare Akhilesh Yadav and mulayam singh party symbol on 16 January 2017 news in hindi | Patrika News

चुनाव आयोग कर रहा विचार, अखिलेश और मुलायम के लिए कुछ घंटे का बचा है इन्तजार

locationलखनऊPublished: Jan 14, 2017 02:27:00 pm

Submitted by:

Ruchi Sharma

बस खत्म हुआ इन्तजार, किसी भी वक्त आ सकता है अखिलेश और मुलायम के लिए ये फैसला

Akhilesh Mulayam

Akhilesh Mulayam

लखनऊ. समाजवादी पार्टी में शुरू हुई कब्जे की जंग पार्टी के चुनाव चिन्ह तक पहुंच गई है। साइकिल पर दावा पेश करने के लिए खुद मुलायम और शिवपाल सिंह यादव चुनाव आयोग पहुंचे। साइकिल पर पार्टी के दोनों गुटों के दावों पर चुनाव आयोग ने शुक्रवार को सुनावाई पूर कर ली है। इसके चलते साइकिल चुनाव चिन्ह को लेकर चुनाव आयोग सोमवार को फैसला दे सकता है।

मिली जानकारी के मुताबिक सुनवाई पूरी हो गई है अौर चुनाव आयोग ने आपना फैसला सुरक्षित रखा है। बता दें कि मुलायम कुनबे में मचा घमासान अब पार्टी पर कब्जे की लड़ाई में बदल चुका है। वहीं सूत्रों के मुताबिक खबर आ रही है कि साइकिल सिंबल न तो मुलायम गुट को ही मिलेगा न ही अखिलेश गुट के हिस्से में आएगा। खबरों के मुताबिक चुनाव आयोग ने मान लिया है कि समाजवादी पार्टी टूट चुकी है और उसने साइकिल सिंबल जब्त करने की तैयारी कर ली है। 

वहीं अखिलेश गुट ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि समाजवादी पार्टी के 90 प्रतिशत से अधिक सांसद, विधायक और पदाधिकारी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ हैं इसलिए पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह ‘साइकिल’ उन्हें ही मिलना चाहिए। अखिलेश यादव गुट ने पार्टी के जन प्रतिनिधियों एवं पदाधिकारियों के हस्ताक्षर वाले हलफनामे चुनाव आयोग को सौंपे है। इसमें दावा किया गया कि 229 में 200 से अधिक विधायकों, 68 विधान परिषद सदस्यों में से 56 विधान परिषद सदस्यों, सहित ‘90 प्रतिशत’ जनप्रतिनिधियों और प्रतिनिधियों का हस्ताक्षर है।

ये हैं संभावनाएं

सपा और साइकिल पर अगर आयोग अगर अखिलेश खेमे का दावा मान लेता है तो मुलायम सिंह यादव के राजनीतिक जीवन के लिए ये बड़ा झटका होगा। वहीं अखिलेश यादव समाजवादी पार्टी के सबसे बड़े नेता बनकर उभरेंगे और मुलायम सिंह महज संरक्षक की भूमिका में आ जाएंगे। चुनाव में टिकट भी अखिलेश की मर्जी से दिये जाएंगे और शिवपाल यादव की पार्टी संगठन से पकड़ खत्म हो जाएगी। वहीं अगर आयोग से मुलायम को जीत मिलती है तो ये अखिलेश यादव के लिए बड़ा झटका होगा। उसके बाद उन्हें या तो वही उम्मीदवारों की पुरानी लिस्ट माननी होगी या बागी होकर अपनी अलग पार्टी और निशान के साथ चुनाव मैदान में उतरना होगा। वहीं अगर चुनाव आयोग साइकिल सिंबल को फ्रीज कर देता है तो ऐसे में अखिलेश और मुलायम दोनों खेमा अलग-अलग चुनाव चिन्ह के साथ मैदान में उतरेगा।

दोनों के दावे

आपको बता दें कि साइकिल सिंबल के लिए दोनो खेमों ने अपना-अपना दावा चुनाव आयोग में ठोंका था। मुलायाम ने साइकिल पर दावा करते हुए कहा था कि पार्टी उन्होंने बनाई है इसलिए पहला हक उनका है। वहीं अखिलेश खेमे के रामगोपाल यादव ने 6 जनवरी को सीएम अखिलेश के समर्थक नेताओं की सूची सौंपी थी। उन्होंने बताया था कि 229 में से 212 विधायकों, 68 में से 56 विधान परिषद सदस्यों और 24 में से 15 सांसदों ने अखिलेश को समर्थन देने वाले शपथ पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। रामगोपाल ने कहा था कि अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली पार्टी ही असली समाजवादी पार्टी है। चुनाव चिह्न साइकिल इसी खेमे को मिलनी चाहिए।
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