वहीं लखनऊ साइबर क्राइम सेल की सूचना पर राजस्थान पुलिस व एटीएस उन छात्रों से अभी पूंछतांछ कर रही है। शुरुआती जांच में सामने आया है कि छात्रों ने मजाक-मजाक में ग्रुप को लश्कर-ए-तैयबा नाम दे दिया था। सीओ अभय कुमार मिश्र ने बताया कि हजरतगंज निवासी मनोज कुमार ने हजरतगंज कोतवाली आकर तहरीर दी थी।
मनोज के मुताबिक वह एक व्हाट्स ग्रुप से जुड़े हैं जिसमें मेडिकल सम्बंधी जानकारियां शेयर की जाती है। शुक्रवार को इस ग्रुप में एक लिंक भेजा गया था जो कि ‘एमआइएम और लश्कर-ए-तैयबा’ के नाम से बना हुआ था। मनोज ने पुलिस कंट्रोल रूम पर फोन करके इसकी सूचना दी। उन्हें हजरतगंज कोतवाली स्थित साइबर क्राइम सेल जाकर शिकायत करने की सलाह दी गई। मनोज ने आशंका जताई कि कोई देशद्रोही किस्म के व्यक्ति ने यह ग्रुप बनाया है। इस पर पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज करके छानबीन शुरू कर दी।
कक्षा 9वीं के छात्र ने बनाया ग्रुप
पुलिस ने उस मोबाइल नंबर को रडार पर लिया जिससे मनोज को व्हाट्स एप पर लिंक भेजा गया था। उक्त नंबर राजस्थान के भिलवाड़ा में रहने वाले कक्षा 9वीं के छात्र का था। इस पर लखनऊ पुलिस ने राजस्थान पुलिस व एटीएस से संपर्क करके मामले की पूरी जानकारी दी। रविवार देर शाम भीलवाड़ा पुलिस ने माण्डलगढ़ इलाके में रहने वाले उस छात्र को पूंछतांछ के लिए बुलाया। छात्र ने बताया कि उसने अपनी क्लास में पढ़ने वाले एक दोस्त के साथ मिलकर यह ग्रुप बनाया था। उसका दोस्त ही ग्रुप का एडमिन था।
मोबाइल से डिलीट जानकारी दोबारा जुटाने की कोशिश में लगी पुलिस
पुलिस के संपर्क करने पर छात्र व उसके दोस्त ने उक्त व्हाट्स ग्रुप को डिलीट कर दिया। इतना ही नहीं उन लोगों ने अपने मोबाइल की इंटरनेट हिस्ट्री भी डिलीट कर दी। पुलिस के पूंछने पर छात्रों ने बताया कि उन्होंने घबराकर ऐसा किया है। पुलिस ने दोनों का मोबाइल फोन अपने कब्जे में ले लिया है। अब सॉफ्टवेयर के माध्यम से मोबाइल से डिलीट जानकारी दोबारा जुटाने की कोशिश की जा रही है। इसके लिए पुलिस उन लोगों से भी पूंछतांछ करेगी जो इस ग्रुप में जुड़े हुए थे।