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अर्थव्यवस्था को एक ट्रिलियन डॉलर करने के लिए सीएम ने दिया मूलमंत्र, साथ ही दिए ये निर्देश

locationलखनऊPublished: Nov 08, 2019 04:01:50 pm

Submitted by:

Anil Ankur

-हर क्षेत्र के लिए बनानी होगी अल्प और दीर्घकालीन रणनीति
-निर्णय एवं अमल में तेजी के साथ टीम वर्क से करना होगा काम

CM Yogi Adityanath

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लखनऊ. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को लोकभवन में इसी विषय पर आयोजित कार्यशाला में अर्थव्यवस्था को एक ट्रिलियन डॉलर करने के मूल मंत्र बताए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2022 तक देश की अर्थव्यवस्था को पांच ट्रिलियन डॉलर करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। इसमें सर्वाधिक आबादी वाले उप्र की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। ऐसा तभी संभव है जब तय समय में उप्र की अर्थव्यवस्था एक ट्रिलियन डॉलर की हो। इसके लिए क्षेत्रवार दीर्घ और अल्पकालीन रणनीति बनानी होगी। सुशासन, तेजी से निर्णय एवं उनका क्रियान्वयन, शीर्षस्थ शैक्षणिक संस्थाओं से सहयोग और टीमवर्क को मूल मंत्र बनाना होगा।
तीन कमेटियां की गई गठित

कार्यशाला में मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके लिए केंद्र और प्रदेश सरकार ने आधारभूत संरचना के विकास, कौशल विकास के जरिये रोजगार जैसे कई कदम उठाए हैं। इन कदमों के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए दो कैबिनेट और एक उच्च स्तरीय समितियां गठित की गयी हैं।
आईआईएम ने बताया कैसे सुधारेगी व्यवस्था

मुख्यमंत्री ने कहा कि उप्र में देश की आबादी के करीब 17 फीसद लोग रहते हैं, पर देश की जीडीपी में इसका हिस्सा सिर्फ आठ फीसद से कुछ अधिक है। इसी गैप के नाते यहां संभावनाएं भी बढ़ जाती हैं। इन संभावनाओं के दोहन के लिए निवेशक आगे आएं। इसके लिए हमने हर क्षेत्र में नयी और बेहतर पॉलिसी बनायी है। भारतीय प्रबंधन संस्थान लखनऊ, बेंगलुरु और अर्नेस्ट यंग ने अपने प्रस्तुतिकरण में यह बताया कि कैसे और किन उपायों से हम एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं। इनके मुताबिक इसे हासिल करने में 70 फीसद भूमिका क्रियान्वयन की होगी। उन राज्यों (गुजरात, महाराष्ट्र) और देशों (चीन, बांगलादेश, मलेशिया और सिंगापुर )से सीख लेनी होगी जिन्होंने हाल के वर्षों में तेजी से प्रगति की है।
निर्माण और कृषि उत्पाद में देना होगा ध्यान

मैन्यूफैक्चरिंग, सेवा और कृषि प्रसंस्करण जैसे क्षेत्रों पर अधिक ध्यान देना होगा। इनके अन्य सुझाव इस प्रकार थे। संभावनाओं वाले क्षेत्रों की पहचान। बड़े शहरों के पास औद्योगिक क्लस्टरों का विकास। इन क्लस्टरों के अनुसार कौशल विकास। इनमें स्थानीय स्तर के शिक्षण संस्थाओं विश्वविद्यालयों, इंजीनियरिंग कालेज, प्रबंधन संस्थान और विश्वविद्यालयों का सहयोग एवं सुझाव। हर क्लस्टर के लिए एक मेयर या मुख्य कार्यपालक अधिकारी जैसे पद का सृजन, मुख्यमंत्री कार्यालय से लगातार निगरानी, हर लक्ष्य के लिए डेडलाइन का निर्धारण। अगर लक्ष्य नहीं हासिल हुआ तो कमियों को तलाश कर उनको दूर करना। इज ऑफ डूइंग बिजनेस की प्रक्रिया को और प्रभावी बनाना, सुशासन, बेहतर आधारभूत संरचना और हर स्तर पर जिम्मेदारी तय करना और प्रभावी क्रियान्वयन आदि।

कार्यक्रम में सरकार के मंत्री सतीश महाना, सिद्धार्थ नाथ सिंह, महेंद्र सिंह, गोपाल टंडन, श्रीकांत शर्मा संबंधित विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, शैक्षणिक संस्थाओं के प्रतिनिधि और गणमान्य लोग मौजूद थे।

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