बता दें कि 15 राज्यों के 71 बड़े शहरों में कमिश्नर प्रणाली पहले से लागू है। इसमें पुलिस कमिश्नर प्रणाली दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता और हैदराबाद में पहले से लागू है। इसमें मुंबई में शस्त्र लाइसेंस और आबकारी की दुकानों के लाइसेंस जारी रखने का अधिकार पुलिस कमिश्नर को दिया गया है, जबकि गुड़गांव में पुलिस को यह अधिकार नहीं है। लखनऊ और गौतमबुद्धनगर के एसएसपी के पद खाली हैं और कैबिनेट की बैठक मंगलवार को होनी है, ऐसे में यह भी संभावना है कि सरकार इस निर्णय को बाईसर्कुलेशन भी लागू कर सकती है। कमिश्नर प्रणाली को मुंबई या गुड़गांव में से किसी एक मॉडल के आधार लागू किया जाएगा।
क्या होगा पुलिस कमिश्नर प्रणाली से बदलाव पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू हो जाने से पुलिस अधिकारियों के अधिकार बढ़ जाएंगे। इसमें कानून व्यवस्था से जुड़े मामलों में कमांड एक ही अफसर के पास आ जाएंगे। पुलिस के पास धारा 144 और शांति भंग करने जैसी धाराओं को लागू करने का अधिकार मिल जाएगा। जिले की बागडोर संभालने वाले डीएम के बहुत से अधिकार पुलिस के पास आ जाएंगे। दंगे जैसे हालातों में लाठीचार्ज या फायरिंग के लिए पुलिस को मजिस्ट्रेट से इजाजत न लेकर खुद फैसला करने का अधिकार प्राप्त होगा। इसके अलावा स्थानीय स्तर पर जुलूस, धरना, प्रदर्शन आदि की इजाजत के लिए पहले कमिश्नर से अनुमति लेनी पड़ती थी, जो कि अब इस व्यवस्था के लागू होने के बाद नहीं लेनी पड़ेगी। यानी कि कमिश्नर प्रणाली लागू होने से कुछ मामलों में मजिस्ट्री फैसले समेत कई अधिकारों की कमान पुलिस के पास आ जाएगी।
प्रतिबंधात्मक कार्रवाई का अधिकार पुलिस कमिश्नर प्रणाली में पुलिस कमिश्नर सर्वोच्च पद होता है। उन्हें ज्यूडिशियल पॉवर भी होती है जो उनके पद को और मजबूत बनाती है। कमिश्नर प्रणाली लागू होने के बाद पुलिस के पास प्रतिबंधात्मक कार्रवाई के पॉवर होंगे, जिसमें वह अपराधियों को लेकर कड़े फैसले कर सकती है।
आर्म्स एक्ट के मामले भी निपटाता है कमिश्नर कमिश्नर प्रणाली में आर्म्स एक्ट के मामले भी पुलिस कमिश्नर डील करते सकेंगे। प्रणाली के तहत जो हथियार के लाइसेंस के लिए आवेदन करते हैं, उसके आवंटन का अधिकार पुलिस कमिश्नर को मिल जाता है। पुलिस कमिश्नर की सहायता के लिए ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर, असिस्टेंट पुलिस कमिश्नर भी तैनात किए जाते हैं।
ऐसा होता है पुलिस कमिश्नर का सिस्टम कमिश्नर का अलग मुख्यालय बनाया जाता है। एडीजी स्तर के सीनियर आईपीएस को पुलिस कमिश्नर बनाया जाता है। वहीं महानगरों को भी कई जोन में बांटा जाता है। हर जोन में डीसीपी तैनात होता है, जिसकी जिम्मेदारी एसएसपी की तरह उस जोन को डील करना होता है। सीओ की तरह एसीपी भी तैनात किए जाते हैं। यह दो से चार थानों को डील करते हैं।