6 महीने के अंदर लेनी थी सदस्यता दरअसल ये सभी पांच नेता हाल ही में विधान परिषद के लिए चुनाव में निर्विरोध निर्वाचित MLC घोषित किए गए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केशव प्रसाद मौर्य, डॉ. दिनेश शर्मा, मोहसिन रजा और स्वतंत्र देव सिंह ने पांच सितंबर को विधान परिषद की सदस्यता के लिए नामांकन किया था। जिसमें सीटें खाली होने के कारण उनका इस सदन के लिए चुना जाना फाइनल था। आपको बता दें कि सीएम योगी आदित्यनाथ समेत ये पांचो नेता विधानमंडल के किसी भी सदन के सदस्य नहीं थे। जबकि ऐसा नियम है कि मंत्रिमंडल की शपथ लेने के छह महीने के अंदर ही किसी भी नेता को विधानमंडल की सदस्यता ग्रहण करनी होती है। मतलब इन सभी नेताओं को 18 सितम्बर से पहले विधान सभा या परिषद का सदस्य होना जरुरी था।
बतौर MLC लगातार तीसरे मुख्यमंत्री आपको बता दें कि योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के लगातार तीसरे ऐसे मुख्यमंत्री होंगे जो बतौर एमएलसी विधान परिषद के सदस्य बनेंगे। वहीं इससे पहले मुख्यमंत्री रह चुके समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष
अखिलेश यादव और बीएसपी सुप्रीमो
मायावती भी विधान परिषद के ही सदस्य थे।
ये सीटें हुई थीं खाली विधान परिषद की जिन सीटों से ये सभी पांच नेता चुने गए हैं वे समाजवादी पार्टी नेता बुक्कल नवाब, यशवंत सिंह, सरोजनी अग्रवाल, अशोक बाजपेयी और बहुजन समाज पार्टी के ठाकुर जयवीर सिंह के इस्तीफे से खाली हुई थीं। जिसमें बुक्कल नवाब और यशवंत सिंह का कार्यकाल 6 जुलाई 2022 तक, अशोक बाजपेयी और डॉ. सरोजनी अग्रवाल का कार्यकाल 30 जनवरी 2021 तक और जयवीर सिंह का कार्यकाल 5 मई 2018 तक था। इनमें से सीएम योगी आदित्यनाथ को यशवंत सिंह की सीट से, केशव को बुक्कल नवाब की सीट से, डॉ. दिनेश शर्मा को आशोक वाजपेयी की सीट से, स्वतंत्र देव सिंह को सरोजनी अग्रवाल की सीट से और मोहसिन रजा को ठाकुर जयवीर सिंह की सीट से निर्विरोध चुना गया है।