याचिका में मामले की सीबीआई जांच कराने की भी मांग की गई थी। इस मामले पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने 18 दिसंबर को अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था। कोर्ट के इस आदेश के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बड़ी रहत मिली है। याचिका में उत्तर प्रदेश सरकार के उस फैसले को चुनौती दी गई थी जिसमें प्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ केस चलाने से इंकार कर दिया था।
असद हयात, परवेज व अन्य की याचिका पर जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस एसी शर्मा की पीठ ने सुनवाई पूरी कर ली थी और 18 दिसंबर को अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था। मोहम्मद असद हयात और परवेज ने गोरखपुर में हुए दंगों में एक व्यक्ति की मौत को लेकर सीबीआई जाँच की मांग को लेकर याचिका दाखिल की थी।
याचियों ने कोर्ट में बताया था कि दंगे के बाद गोरखपुर के तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ, तत्कालीन मेयर मंजू चौधरी, विधायक राधामोहन अग्रवाल व अन्य लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था। इस मामले की जांच सीबीसीआईडी ने शुरु की थी। साल 2008 में मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग को लेकर याचिका दाखिल की गई थी। याचिका में गोरखपुर में हुए दंगों के लिए तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ के भडकाउ भाषण को जिम्मेदार बताया गया था।
भाषण की सीडी की जांच के दौरान 2013 में योगी आदित्यनाथ की आवाज सही पाई गई लेकिन तत्कालीन अखिलेश सरकार ने योगी आदित्यनाथ के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने की अनुमति नहीं दी थी। याचियों ने सीबीसीआईडी की भूमिका पर भी सवाल उठाये थे और मामले की सीबीआई से जांच कराने की मांग की थी।