Atal Bihari Vajpayee Death Anniversary : पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी की पुण्यतिथि पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन्हें दी श्रद्धांजलि- सदन में अटल जी के भाषण को किया याद, कहा- देश की राजनीति पर उन्होंने छोड़ी अमिट छाप
अटल जी के इस भाषण को याद कर भावुक हो गये सीएम योगी, कहा- उनके जैसा कोई नहीं
लखनऊ. 16 अगस्त 2019 पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की पहली पुण्यतिथि (Atal Bihari Vajpayee Death Anniversary) है। राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) सहित पूरा देश उन्हें श्रद्धांजलि दे रहा है। पुण्यतिथि के बहाने एक बार फिर उनके जीवन पर चर्चा शुरू हो गई है। वर्ष 1977 में तत्कालीन विदेश मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) ने संयुक्त राष्ट्रसंघ में अपना पहला भाषण हिंदी में देकर सभी के दिलों पर गहरा प्रभाव छोड़ दिया था। यह पहला मौका था, जब यूएन जैसे बड़े अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की गूंज सुनने को मिली थी। संसद में उनका संस्कृत में पढ़ा गया श्लोक लोग आज भी नहीं भूले हैं। शुक्रवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वर्गीय वाजपेयी को श्रद्धांजलि देते हुए सदन में पढ़े गये उनके श्लोक के बारे में बताया। अटल बिहारी वाजपेयी ने भारतीय राजनीति पर ऐसा प्रभाव छोड़ा कि देश की राजनीति के पितामह बना गये। 16 अगस्त 2018 को लंबी बीमारी के बाद उनका निधन हो गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी उस व्यक्तित्व का नाम है, जिसने कभी अपने आदर्शों और सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। अटल जी ने संसद में कहा था कि मेरे लिए देश दल से बढ़कर है। सदन में अटल के पिछले भाषण को याद करते हुए सीएम योगी ने कहा कि जब सदन में विश्वासमत के लिए मतदान होना था, अटल जी ने शूद्रक के नाटक ‘मृच्छकटिकम’ का भगवान राम को संदर्भित एक श्लोक पढ़ा था। ‘न भीतो मरणादस्मि केवलं दूषितो यश:’ इसका अर्थ है कि मैं मृत्यु से नहीं, बल्कि बदनामी से डरता हूं। सीएम योगी ने कहा कि अटल हजी ओजस्वी वक्ता थे, जिसके कारण विरोधी भी गम्भीरता से उनको सुनते थे। उन्होंने हमेशा ही जीवनपर्यन्त राष्ट्रहित को सर्वोपरि माना। उनके जैसा कोई नहीं है।
अटल बिहारी वाजपेयी के बारे में जन्म- 25 दिसंबर 1924 मृत्यु- 16 अगस्त 2018 – 1952 में पहली बार चुनाव लड़े, पर सफलता नहीं मिली। – 1957 में बलरामपुर संसदीय सीट से लोकसभा चुनाव जीते – 1968 में जनसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने – 1977 में मोराराजी भाई देसाई की सरकार में विदेश मंत्री बने – 1980 में भारतीय जनता पार्टी के पहले राष्ट्री अध्यक्ष बने – 1996 से लेकर 2004 तक तीन बार प्रधानमंत्री बने।