प्रदेश सरकार से जिन पीठ के पीठाधीश्वरों को मान्यता मिली है, उन्हें जनवरी 2018 में प्रयाग में होने वाले कुंभ मेले के दौरान शंकराचार्य की सुविधायें मिलेंगी। इसके अन्य पीठे के साधु-संतों को भी मेले में शिविर और बोर्ड लगाने की परमीशन होगी, लेकिन ये नाम के आगे शंकराचार्य नहीं लिख सकेंगे। अगर अन्य पीठों के पीठाधीश्वरों ने अपने नाम के आगे शंकराचार्य लिखा तो प्रशासन उन पर कड़ी कार्रवाई करेगा। कार्रवाई अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के दबाव के आधार पर की जाएगी।
दो दर्जन से अधिक हैं स्वयंभू शंकराचार्य
सनातन धर्म में आदिशंकराचार्य द्वारा स्थापित द्वारिका, श्रृंगेरी, पुरी एवं ज्योतिष पीठों के पीठाधीश्वरों को शंकराचार्य की उपाधि दी जाती है। लेकिन पिछले कुछ समय से बिना पीठ के शंकराचार्य बनने वालों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। अखाड़ा परिषद ने इसका विरोध जताते हुए इसे सनातन धर्म के खिलाफ माना है। देश में स्वयंभू शंकराचार्यों की संख्या दो दर्जन से अधिक है। कुंभ पर्व के दौरान ऐसे स्वयंभू शंकराचार्यों को रोकने के लिए अखाड़ा परिषद ने सीएम योगी से सिर्फ चार पीठों के पीठाधीश्वरों को शंकराचार्य का सम्मान, सुविधा व मान्यता देने की मांग की। मुख्यमंत्री योगी आदित्नयाथ ने अखाड़ा परिषद की इस मांग को स्वीकार कर लिया है।
सनातन धर्म में आदिशंकराचार्य द्वारा स्थापित द्वारिका, श्रृंगेरी, पुरी एवं ज्योतिष पीठों के पीठाधीश्वरों को शंकराचार्य की उपाधि दी जाती है। लेकिन पिछले कुछ समय से बिना पीठ के शंकराचार्य बनने वालों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। अखाड़ा परिषद ने इसका विरोध जताते हुए इसे सनातन धर्म के खिलाफ माना है। देश में स्वयंभू शंकराचार्यों की संख्या दो दर्जन से अधिक है। कुंभ पर्व के दौरान ऐसे स्वयंभू शंकराचार्यों को रोकने के लिए अखाड़ा परिषद ने सीएम योगी से सिर्फ चार पीठों के पीठाधीश्वरों को शंकराचार्य का सम्मान, सुविधा व मान्यता देने की मांग की। मुख्यमंत्री योगी आदित्नयाथ ने अखाड़ा परिषद की इस मांग को स्वीकार कर लिया है।