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सीएम योगी का बड़ा बयान, यूपी में भी लागू हो सकती है NRC

locationलखनऊPublished: Sep 16, 2019 11:15:25 am

प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने यूपी में एनआरसी (NRC) लागू करने की बात कही है।

सीएम योगी का बड़ा बयान, यूपी में भी लागू हो सकती है NRC

सीएम योगी का बड़ा बयान, यूपी में भी लागू हो सकती है NRC

लखनऊ. प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने यूपी में एनआरसी (NRC) लागू करने की बात कही है। उन्होंने कहा है कि अगर जरूरत पड़ी तो हम उत्तर प्रदेश (UP) में भी NRC लागू करेंगे। इसके साथ ही सीएम योगी (CM Yogi) ने असम (Asam) में एनआरसी लागू करने के फैसले को महत्वपूर्ण और साहसिक निर्णय बताया है। एनआरसी पर बोलते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा, ‘कोर्ट के आदेश को लागू करना एक साहसिक और महत्वपूर्ण निर्णय है। मैं मानता हूं कि हम लोगों को प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को इसके लिए बधाई देना चाहिए। यह चरणबद्ध तरीके से लागू हुआ और अगर जरूरत पड़ी तो हम उत्तर प्रदेश में भी ऐसा करेंगे।’

NRC राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण

उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री ने आगे कहा, ‘असम में जिस तरह से एनआरसी को लागू किया गया है, वह सीखने वाला है। वहां के अनुभव के आधार पर हम भी शुरुआत कर सकते हैं। यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। यह गरीबों का अधिकार अवैध घुसपैठियों को छीनने से रोकेगा।’

जनसंख्या नियंत्रण पर काम करने की जरूरत

जनसंख्या नियंत्रण के मुद्दे पर योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार प्रधानमंत्री की बातों से पूरी तरह सहमत है। एक सीमा के बाद इसपर नियंत्रण लगाने की जरूरत है। इसको कैसे लागू किया जाएगा, सरकार के स्तर पर इस मुद्दे पर चर्चा की जरूरत है। हम इसपर काम करना शुरू कर चुके हैं।

क्या है भारतीय राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC)

भारत के राष्ट्रीय नागरिक पंजी में उन भारतीय नागरिकों के नाम हैं जो असम में रहते हैं। इसे भारत की जनगणना 1951 के बाद 1951 में तैयार किया गया था। इसे जनगणना के दौरान वर्णित सभी व्यक्तियों के विवरणों के आधार पर तैयार किया गया था। जो लोग असम में बांग्लादेश बनने के पहले (25 मार्च 1971 के पहले) आए है, केवल उन्हें ही भारत का नागरिक माना जाएगा। असम भारत का पहला ऐसा राज्य है जिसके पास राष्ट्रीय नागरिक पंजी है। नागरिकता हेतु प्रस्तुत लगभग दो करोड़ से अधिक दावों (इनमें लगभग 38 लाख लोग ऐसे भी थे जिनके द्वारा प्रस्तुत दस्तावजों पर संदेह था) की जाँच पूरी होने के बाद न्यायालय द्वारा एन.आर.सी. के पहले मसौदे को 31 दिसंबर 2017 तक प्रकाशित करने का आदेश दिया गया था। 31 दिसंबर 2017 को बहु-प्रतीक्षित राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर का पहला ड्राफ्ट प्रकाशित किया गया। कानूनी तौर पर भारत के नागरिक के रूप में पहचान प्राप्त करने हेतु असम में लगभग 3.29 करोड़ आवेदन प्रस्तुत किये गए थे, जिनमें से कुल 1.9 करोड़ लोगों के नाम को ही इसमें शामिल किया गया है। असम में नागरिक पंजी को आखिरी बार 1951 में अद्यतन किया गया था। उस समय असम में कुल 80 लाख नागरिकों के नाम प्ंजीकृत किए गये थे। 1979 में अखिल आसाम छात्र संघ (AASU) द्वारा अवैध आप्रवासियों की पहचान और निर्वासन की मांग करते हुए एक 6 वर्षीय आन्दोलन चलाया गया था। यह आन्दोलन 15 अगस्त, 1985 को असम समझौते पर हस्ताक्षर के बाद शान्त हुआ था।

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