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सीएम योगी आदित्यनाथ ने ओम प्रकाश राजभर को किया बर्खास्त, अनिल राजभर को सौंपे सारे विभाग

locationलखनऊPublished: May 20, 2019 02:42:15 pm

– यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की बड़ी कार्रवाई
– योगी की सिफारिश पर राज्यपाल रामनाईक ने ओमप्रकाश राजभर को किया बर्खास्त
– अनिल राजभर को दिए जाएंगे ओमप्रकाश राजभर के सारे विभाग।

CM Yogi Adityanath terminate Om Prakash Rajbhar from UP cabinet

एग्जिट पोल के बाद बड़ी सियासी खबर, सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपने इस बड़े मंत्री को किया बर्खास्त, छीने सारे पद

लखनऊ. भारतीय जनता पार्टी की केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ आग उगलने वाले सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष और योगी सरकार के मंत्री ओमप्रकाश राजभर को बर्खास्त कर दिया गया है। पिछड़ा वर्ग कल्याण और दिव्यांग जन कल्याण मंत्री से मुख्यमंत्री ने इस्तीफा मांगा था। त्यागपत्र देने से मना करने पर योगी आदित्यनाथ उन्हें मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने की राज्यपाल से सिफारिश की थी। इसके बाद राज्यपाल राम नाइक ने राजभर को योगी मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया। इसके साथ प्रदेश सरकार के विभिन्न निगमों और परिषदों में नामित सुभासपा से जुड़े छह सदस्यों और अध्यक्षों को भी हटा दिया गया है। ओमप्रकाश से जुड़े विभागों का दायित्व राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार अनिल राजभर को दे दिया गया है। ओमप्रकाश ने बर्र्खास्तगी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि उन्हें गरीबों की आवाज उठाने की सजा मिली है।
छह सदस्यों को भी हटाया गया

राजभर की पार्टी के छह सदस्य जो विभिन्न निगमों और परिषदों में अध्यक्ष व सदस्य नामित किए गए थे उन सभी को भी तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया है। इनमें उत्तर प्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्य गंगाराम राजभर (संतकबीर नगर), वीरेंद्र राजभर (बलिया), उत्तर प्रदेश पशुधन विकास परिषद के सदस्य सुदामा राजभर (गाजीपुर), सूक्ष्म लघु एवं मध्यम विभाग के अध्यक्ष अरविंद राजभर (बलिया), उत्तर प्रदेश बीज विकास निगम के अध्यक्ष राणा अजीत प्रताप सिंह (सुल्तानपुर) और राष्ट्रीय एकीकरण परिषद के सदस्य सुनील अवस्थी (हरदोई), राधिका पटेल (सुलतानपुर) शामिल हैं।
बर्खास्तगी का स्वागत: ओमप्रकाश

सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने योगी मंत्रिमंडल से अपनी बर्खास्तगी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा उन्हें मंत्रिमंडल से बर्खास्त किए जाने के फैसले का स्वागत करते हैं। उन्हें अभी तक लोकसभा चुनाव की वजह से नहीं हटाया था, चुनाव खत्म होते ही बर्खास्त कर दिया गया। राजभर ने कहा उन्हें गरीबों की आवाज उठाने की सजा मिली है। अगर हक मांगना बगावत है तो समझो हम बागी हैं।
सुभासपा के इन मुद्दों की वजह से गिरी गाज

सुभासपा योगी सरकार की कार्यप्रणाली पर लगातार सवाल उठाती रही है। ओमप्रकाश की प्रमुख लड़ाई पिछड़ों में भी अति पिछड़ों को अलग से आरक्षण देने को लेकर है। सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्र्ट के आधार पर ओमप्रकाश अति पिछड़ी जातियों के लिए 27 प्रतिशत में से 18 प्रतिशत आरक्षण की मांग उठाते रहे हैं। इसके अलावा पिछड़ों के बच्चों को सरकारी योजनाओं का पूरा लाभ न मिलने, प्राइमरी स्कूलों के करीब 1 करोड़ 70 लाख गरीब बच्चों की हालत सुधारने और प्रदेश में पूरी तरह से शराबबंदी की मांग प्रमुख है।
राजभर को भाजपा दे रही थी एक सीट

लोकसभा चुनाव में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने पूर्वी उप्र की कम से कम पांच सीटों पर अपनी पार्टी के उम्मीदवार उतारने की मांग की थी। लेकिन भाजपा सिर्फ घोसी की एक सीट सुभासपा को दे रही थी। यहां से खुद ओम प्रकाश या फिर उनके बेटे अरविंद राजभर को लडऩे की शर्त रखी गयी थी। इसलिए सुभासपा ने 36 सीटों पर अपने उम्मीदवारों उतार दिया था।
आगे क्या होगा भविष्य

ओमप्रकाश राजभर ने चुनाव के बीच में भी इस्तीफे की पेशकश की थी। वह पखवाड़े भर पहले आधी रात को मुख्यमंत्री आवास पर अपना इस्तीफा देने गए थे। तब वह इस्तीफे की कापी सुरक्षा गार्डो को सौंप आए थे। इसके बाद से राजभर का झुकाव बसपा की तरफ बढ़ा। उन्होंने बसपा सुप्रीमो मायावती के अगला प्रधानमंत्री बनने की बात भी कही है। ओमप्रकाश पहले भी बसपा में थे। अब वह अकेले पिछड़ों की लड़ाई लड़ेगें और आगामी विधानसभा चुनाव तक बसपा या सपा के साथ जा सकते हैं।
 

केशव प्रसाद मौर्य ने साधा निशाना

डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने ट्वीट कर ओपी राजभर पर निशाना साधा है। मौर्य ने कहा है कि पिछड़ों के नहीं ओमप्रकाश राजभर परिवार के नेता हैं। वह भाजपा के कारण विधायक और मंत्री बने, लेकिन उन्होंने पिछड़ों के हक की लड़ाई के नाम पर शुद्ध रूप से नाटक किया
https://twitter.com/kpmaurya1/status/1130342396703625217?ref_src=twsrc%5Etfw
 

कौन हैं अनिल राजभर, जिन पर भाजपा लगा रही दांव

योगी मंत्रिमंडल में एकाएक राज्यमंत्री अनिल राजभर का कद बढ़ गया है। शिवपुर विधायक अनिल अभी राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार हैं। इन्हें ओम प्रकाश के सभी पद दे दिये गये हैं। अनिल के पिता रामजीत राजभर भी भाजपा के टिकट पर धानापुर और चिरईगांव विधायक रहे हैं। अनिल राजभर ने चंदौली के सकलडीहा पीजी कॉलेज से छात्रनेता के तौर पर अपना राजनीतिक सफर शुरू किया था। 1994 में छात्रसंघ अध्यक्ष बने। इसके बाद जिला पंचायत सदस्य चुने गए। 2017 में यहशिवपुर से विधायक चुने गये। भाजपा इन्हें पिछड़ों खासकर राजभरों के नेता के रूप में प्रोजेक्ट कर रही है।
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