सीएम योगी आदित्यनाथ ने नगर विकास विभाग द्वारा चिन्हित दैनिक कार्य करने वाले विभिन्न श्रेणी के 4,81,755 लाख श्रमिकों के भरण पोषण भत्ता के लिए 48,17,55,000 रुपए की धनराशि जारी की। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस अवसर पर वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से अलग-अलग जनपदों के लाभार्थियों से बातचीत भी किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना वायरस के चलते प्रदेश में लाकडाउन है, जिससे गरीब वर्ग के लोगों को भोजन और भरण-पोषण भत्ता सरकार मुहैया करवा रही है। इसमें रेहड़ी, ठेला, खोमचा, रिक्शा, ई-रिक्शा चालक और पल्लेदारों को हजार रुपये का भरण-पोषण भत्ता सरकार की तरफ से उनके बैंक खाते में भेजे जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इससे पहले सरकार ने 35 लाख मजदूरों को भरण-पोषण भत्ते का भुगतान डीबीटी के माध्यम से सीधे अकाउंट में भेज रही है। 11 लाख से अधिक निर्माण श्रमिकों के बैंक खाते में एक हजार रुपए जा चुके हैं।
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि मनरेगा मजदूरों का मानदेय बढ़ाकर भुगतान किया जा रहा है। प्रदेश में 1.65 करोड़ से ज्यादा अन्त्योदय योजना, मनरेगा और श्रम विभाग में पंजीकृत निर्माण श्रमिक एवं दिहाड़ी मजदूरों को एक माह का निशुल्क राशन भी मुहैया करवाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी की इस संकट में केंद्र और प्रदेश सरकार गरीबों के लिए पूरी मजबूती के साथ खड़ी है। जिनके पास राशन कार्ड नहीं था, उन्हें भी इन योजनों से आच्छादित किया जा रहा है। हर जनपद में कम्युनिटी किचन के माधयम से लोगों को भोजन उपलब्ध करवाया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए निर्देश को सख्ती से सभी लोग पालन करें, जिससे कोरोना हारेगा, देश जीतेगा।
संकट में बुंदेलखंड के मजदूर
कोरोना के खौफ के चलते शहरों से गांव लौटे मजदूरों के सामने अब बड़ा संकट है। अभी तक का समय तो गांव में कहीं न कहीं गेहूं कटाई से मिली मजदूरी से बीत गया, लेकिन आगे क्या होगा इसका कोई रास्ता नजर नहीं आर रहा। बुंदेलखंड में रहने वाले मजदूर परिवारों के सामने अब आगे अपना पेट पालना बड़ी चुनौती है। यहां गांवों में बड़ी संख्या में मजदूर शहरों से वापस लौटे हैं। इस बार मजदूरों की संख्या बढ़ने से मजदूरी के रेट भी घट गए। वहीं लॉकडाउन में दुकानदारों ने भी उधार देना बंद कर दिया है। दुकानों पर पोस्टर लगा दिए हैं कि उधार बंद है। बुंदेलखंड में यूपी के झांसी, ललितपुर, बांदा, महोबा, जालौन, हमीरपुर, चित्रकूट शामिल हैं। प्रशासनिक आंकड़ों के मुताबिक इन जिलों के पंजीकृत मजदूरों की लाखों मे है। यहां के ज्यादातर मजदूरों का कहना है कि फिलहाल तो काम चल रहा है। गेहूं की कटाई और भूसा ढुलाई से मजदूरी मिल रही है लेकिन उसके बाद क्या होगा। इसका कुछ पता नहीं। दुकानदार उधार नहीं दे रहे।