बुंदेलखंड में इस बार झाँसी, ललितपुर, जालौन, बांदा, हमीरपुर, चित्रकूट, महोबा जनपदों में औसत से कम बारिश हुई है। बुंदेलखंड में खरीफ के मौसम में मुख्य रूप से तिल, उर्द, मूंग और मूंगफली की बुवाई की जाती है। इन फसलों में पानी की कम जरूरत होती है और इन्हें नकदी फसल के रूप में भी जाना जाता है। इस बार बारिश सामान्य रहने की उम्मीद में किसानों ने फसलों की बुवाई कर दी लेकिन आखिरी समय में फसलों को पानी न मिल पाने के कारण ज्यादातर फसलें सूख गईं। बुंदेलखंड के साथ ही इस बार पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी कम बारिश हुई है जिसके बाद इस क्षेत्र में सूखे की स्थिति पैदा होती दिखाई दे रही है।आगरा, सहारनपुर, मेरठ, अलीगढ़ मंडलों की स्थिति का जायजा लेने की जिम्मेदारी मंत्रियों को सौपी गई है।
फसलों की बर्बादी के बाद बुंदेलखंड को सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग यहाँ के किसान संगठनों की ओर से उठ रही थी। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जनपदों से सूखे की समस्या को लेकर किसानों की ओर से मांग उठ रही थी। जिला प्रशासन ने भी अपने स्तर पर फसलों का सर्वे कराना शुरू कर दिया है। ज्यादातर क्षेत्रों में प्रारंभिक रिपोर्ट में फसलों का नुकसान बताया गया है। कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने बुधवार को झाँसी और गुरुवार को बांदा में समीक्षा बैठक की। कृषि मंत्री ने कहा है कि बुंदेलखंड में 42100 दलहन और तिलहन की मिनी किट बांटी जाएँगी। उन्होंने माना कि 35 से 40 प्रतिशत फसलों का नुकसान हुआ है। महोबा में कृषि मंत्री ने कहा कि 55 फीसदी बारिश हुई है जिसके कारण सूखे के हालात बने हैं।