जो पेंशन के माध्यम से अपने जीवन की आवश्यकताएं पूरी कर सकें। इनकी आयु 60 साल से ऊपर होनी चाहिए। इसके तहत पहली तिमाही में 56 लाख बुजुर्गों तक पेंशन का लाभ पहुंचाने का टारगेट रखा गया था। जो पूरा हो गया है। अब
सीएम योगी आदित्यनाथ ने आदेश दिया है कि अगर प्रदेश में पात्रों की संख्या बढ़ रही है तो उन्हें भी इस पेंशन योजना का लाभ दिया जाएगा। माना जा रहा है कि दिवाली से पहले 60 लाख बुजुर्गों के खाते में पेंशन देकर सीएम योगी आदित्यनाथ ने लाभार्थियों को दिवाली तोहफा दिया है।
योगी सरकार ने पहली तिमारी में 55 लाख बुजुर्गों को दी पेंशन
प्रदेश में बुजुर्गों के लिए यह योजना एक वरदान साबित हो रही है। वृद्धावस्था पेंशन योजना के तहत 60 वर्ष से अधिक उम्र के आर्थिक रूप से कमजोर वृद्धजनों को हर महीने ₹1000 की पेंशन का लाभ मिल रहा है, जिससे उनके जीवन-यापन में सहायता मिल रही है। आंकड़ों के अनुसार, 2023-24 में 55,68,590 वृद्धजनों को इस योजना का लाभ मिला है और इस पर कुल ₹6,46,434.06 लाख की धनराशि खर्च हो चुकी है। वहीं वर्ष 2024-25 के पहली तिमाही में 55,99,997 लाख लाभार्थियों के खाते में ₹1,67,975 लाख सीधे हस्तांतरित किए जा चुके हैं।
डिजिटल और पारदर्शी प्रक्रिया से तहत मिल रहा लाभ
योगी सरकार द्वारा वृद्धजनों तक योजना का लाभ पहुंचाने के लिए पूरी प्रक्रिया को डिजिटल और पारदर्शी बनाया गया है। अब कोई भी पात्र व्यक्ति योजना का लाभ पाने के लिए उत्तर प्रदेश के समाज कल्याण विभाग https://sspy-up.gov.in वेबसाइट पर जाकर आवेदन कर सकता है। इससे सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने की आवश्यकता नहीं होती। आवेदन की पुष्टि ग्रामीण क्षेत्रों में खंड विकास अधिकारी और शहरी क्षेत्रों में उप जिलाधिकारी द्वारा की जाती है। गरीब बुजुर्गों के लिए वरदान बनी योजना
यह योजना मुख्य रूप से उन वृद्धजनों तक पहुंचने के लिए बनाई गई है, जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं और पेंशन के माध्यम से अपने जीवन की आवश्यकताएं पूरी कर सकें। वृद्धावस्था पेंशन योजना के तहत लाभ प्राप्त करने के लिए आवेदक की आयु 60 वर्ष या उससे अधिक होनी चाहिए। साथ ही, उनकी आय निर्धारित आय सीमा के अंतर्गत होनी चाहिए। शहरी क्षेत्रों में वार्षिक आय सीमा ₹56,460 है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह सीमा ₹46,080 है।
योजना के लाभार्थियों की संख्या में बढ़ोतरी
इस योजना के तहत पिछले कुछ वर्षों में लाभार्थियों की संख्या में लगातार वृद्धि देखी गई है। वर्ष 2018-19 में 40,71,580 वृद्धजनों को इस योजना का लाभ मिला, जिसमें ₹187913.10 लाख की धनराशि खर्च की गई। 2019-20 में यह संख्या बढ़कर 47,99,480 हो गई और ₹269774.45 लाख का व्यय हुआ। 2020-21 में 51,24,155 लाभार्थियों को ₹369449.13 लाख की पेंशन मिली। 2021-22 में 51,92,779 वृद्धजनों को ₹427790.56 लाख की पेंशन दी गई। 2022-23 में यह संख्या 54,97,237 तक पहुंच गई, और इस पर कुल ₹608374.50 लाख खर्च हुए। 2023-24 में 55,68,590 वृद्धजनों को इस योजना का लाभ मिला है और इस पर कुल ₹646434.06 लाख की धनराशि खर्च हो चुकी है। वहीं वर्ष 2024-25 के पहली तिमाही में 55,99,997 लाख लाभार्थियों के खाते में ₹1,67,975 लाख सीधे हस्तांतरित किए जा चुके हैं।
हर महीने पेंशन मिलने से बुजुर्गों का बढ़ेगा आत्मसम्मान
यह योजना सिर्फ आर्थिक सहायता तक सीमित नहीं है, बल्कि वृद्धजनों को समाज में सम्मानित जीवन जीने का अवसर भी प्रदान कर रही है। वृद्धावस्था में आर्थिक सुरक्षा मिलने से बुजुर्गों में आत्मसम्मान का विकास होता है। खासतौर पर वे बुजुर्ग जो किसी अन्य आय स्रोत से वंचित हैं। उनके लिए यह पेंशन आत्मनिर्भरता का स्रोत बन रही है। सरकार की इस योजना से बुजुर्ग न केवल अपने दैनिक जीवन की आवश्यकताएं पूरी कर पा रहे हैं। बल्कि उन्हें अपने परिवार पर वित्तीय निर्भरता कम करने में भी मदद मिल रही है।