दरअसल सीएम योगी ने हाल ही में विधान परिषद में बजट पर चर्चा के दौरान कहा था कि प्रदेश में अल्पसंख्यकों की आबादी 17 से 19 फीसदी है और अल्पसंख्यक समाज को योजनाओं का लाभ 30 से 35 फीसदी मिल रहा है। योगी ने अपनी सरकार की विभिन्न योजनाओं को गिनाते हुए कहा था कि प्रधानमंत्री आवास, सौभाग्य, उज्जवला, खाद्यान्न योजना, आयुष्मान भारत या मुख्यमंत्री जनआरोग्य योजना सहित किसी भी योजना में आप जाएंगे, तो आप लाभ पाएंगे। आबादी के हिसाब से देखेंगे, तो अल्पसंख्यक समाज को उससे कई गुना ज्यादा लाभ मिल रहा है।
12 लाख से ज्यादा लोगों को दिया लाभ
प्रदेश के 21 जिले बदायूं, बागपत, बहराइच, बलरामपुर, बाराबंकी, बरेली, बिजनौर, बुलंदशहर, गाजियाबाद, अमरोहा, लखीमपुर खीरी, लखनऊ, मेरठ, मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर, पीलीभीत, रामपुर, सहारनपुर, शाहजहांपुर, श्रावस्ती और सिद्धार्थनगर अल्पसंख्यक बाहुल्य के रूप में चिह्नित किये गए हैं। इन जिलों में वित्त वर्ष 2020-21 में दिसंबर तक अल्पसंख्यक समुदाय के 12,26,499 लोगों को 21,406.04 करोड़ दिए गए हैं, जो कुल प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र के तहत दिए गए लोन का क्रमशः 12.015 (खाते) और 14.44 फीसदी (धनराशि) है। जबकि पूरे प्रदेश में प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र के तहत एक करोड़ 57 लाख 59 हजार 712 कमजोर वर्गों को कुल 369270 करोड़ दिए गए हैं।
अल्पसंख्यकों को दी गई सबसे अधिक धनराशि
अल्पसंख्यक समुदाय के कल्याण की योजनाओं को प्रधानमंत्री के 15 सूत्रीय कार्यक्रम में भी शामिल किया गया है। इन समुदायों को प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र के तहत कमजोर वर्गों के लिए अलग-अलग श्रेणी में लोन देने के लिए वर्गीकृत किया गया है। साथ ही इन्हें प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र के तहत कुल लोन का 15 प्रतिशत तक देने के निर्देश हैं। जबकि वित्त वर्ष 2020-21 में दिसंबर तक बैंकों ने पूरे प्रदेश में अल्पसंख्यक समुदाय के 20,34,654 लोगों को 53,325.88 करोड़ दिए गए हैं, जो कुल प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र के तहत दिए गए लोन का क्रमशः 24.43 फीसदी (खाते) और 20.07 फीसदी (धनराशि) है।