अप्रैल से शुरू होगा अभियान ये अभियान अप्रैल के पहले सप्ताह से शुरू किया जाएगा। इस दौरान सीएम योगी ने जिलाधिकारियों से कहा कि अप्रैल से दिमागी बुखार, के विरुद्ध एक पखवाड़े तक अभियान चलाया जाए। उन्होंने कहा कि सम्बन्धित विभाग इसमें अपना सक्रिय और प्रभावी योगदान सुनिश्चित करें, ताकि इन बीमारियों पर नियंत्रण पाया जा सके। सरकार का लक्ष्य इन बीमारियों से हो रही मौतों को रोकना है और इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दास्त नहीं की जाएगी। इस अभियान में जनप्रतिनिधियों की भागीदारी भी सुनिश्चित की जाए।
डॉक्टरों को दी जाएगी ट्रेनिंग सीएम योगी ने कहा कि सभी जिला अस्पतालों, सीएचसी तथा पीएचसी में डॉक्टरों तथ पैरामेडिकल स्टाफ की पर्याप्त संख्या में तैनाती की जाए। वहीं बच्चों को होने वाली बीमारियों से निपटने के लिए पीडियाट्रिक्स और दवाओं की उपलब्धता भी सुनिश्चित की जाए। पूर्वी उत्तर प्रदेश के जिलों के डॉक्टरों को इस सम्बन्ध में आवश्यक प्रशिक्षण गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में दी जाएगी, जबकि अन्य डॉक्टरों को यह प्रशिक्षण लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में मिलेगा।
झोलाछाप डॉक्टरों से बचें सीएम योगी ने इस दौरान कहा कि इंसेफेलाइटिस की बीमारी का ईलाज झोलाछाप डॉक्टरों से करवाने से बचें। ऐसे डॉक्टर ही अक्सर केस बिगाड़ते हैं। वहीं इस दौरान स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह बोले कि इंसेफेलाइटिस के बारे में इतनी जानकारी उन्हें भी सीएम योगी से ही मिली है। योगी जी ने सबसे ज्यादा इस मुद्दे को उठाया है। उनके नेतृत्व में हम इस बीमारी से प्रदेश को मुक्ति दिलाने का पूरा प्रयास करेंगे।
1997-98 से ये लड़ाई लड़ रहा हूं सीएम योगी ने इस दौरान कहा कि वह इस बीमारी के खिलाफ 1997-98 से लड़ाई लड़ रहे हैं। वह जापानी इंसेफेलाइटिस और एक्यूट इंसेफेटलाइटिस सिंड्रोम के बीच का फर्क जानते हैं। एक्यूट इंसेफेटलाइटिस सिंड्रोम ज्यादा खतरनाक है क्योंकि ये साल के किसी भी महीने में हो सकता है। उन्होंने कहा कि ये सरकार समाधान निकलाने की दृढ़ इच्छा रखती है। यही कारण है कि सरकार ने प्राइमरी स्कूल के बच्चों को जूते-मोजे बांटे क्योंकि नंगे पांव घूमने से वायरस फैलता है इसलिए उन्हें जूते मोजे उपलब्ध कराए।
पूर्वांचल है चपेट में पूरे देश में एआईएस/जेई के मामलों में 60 प्रतिशत पूर्वी उत्तर प्रदेश के दो मंडल गोरखपुर और बस्ती से होते हैं। 2017 में एआईएस/जेई के कुल 4724 मामले सामने आए जिसमें 654 की मृत्यु हो गई। चपेट में आने वाले 85 प्रतिशत ज्यादातर दस साल या इससे कम उम्र के बच्चे होते हैं।इस कार्यक्रम के तहत जिला स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारियों को दो दिवसीय प्रशिक्षण दिया जाएगा। वहीं कार्यक्रम के जरिये प्रदेश के प्रभावित 38 जिलों में टीवी रेडियो और समाचार पत्रों के जरिये बचाव के उपाय बताए जाएंगे।
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