सीएम ने दिया ये तर्क जाट प्रतिनिधियों की बैठक के दौरान सीएम योगी ने आरक्षण को हवा दे दी है। उन्होंने कहा कि जाट आरक्षण पर सरकार जाट समाज के साथ हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने सामाजिक न्याय की समिति गठित की है। पिछली सरकार अपने लोगों के माध्यम से मामले को कोर्ट ले जाती थी। वो आरक्षण के समर्थन में नहीं थी। सीएम योगी ने कहा कि हम लोगों ने किसानों का कर्ज माफ किया. हमने गन्ना किसानों को 36000 करोड़ का भुगतान किया। पिछली सरकार के बकाए का भी भुगतान किया।
इस दौरान उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि 17 जिले जाट बाहुल्य हैं और आपके चलते ही बीजेपी को बहुमत मिला। डिप्टी सीएम ने कहा कि 2019 के चुनाव के लिए विपक्षी अफवाह फैला सकते हैं। केंद्र और प्रदेश की सरकार आपके साथ है। वहीं इससे पहले जाट सभा में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय ने कहा, ‘बीजेपी का जाट समाज से गहरा नाता है। कांग्रेस को पहली बार देश में 1967 में बेदखली मिली और उसमें चौधरी चरण सिंह मात्र 17 विधायक लेकर निकले, जिन्हें जनसंघ ने सीएम बनाया था। जाट समाज ने बीजेपी को दिया है और बीजेपी ने जाट समाज को।’
विपक्षी दलों पर निशाना
सीएम योगी ने ये भी कहा कि देश की राजधानी को जाट समाज ने घेर रखा है। मुगलकाल में भी जाट समाज ने अपनी संस्कृति नहीं छोड़ी. सपा के कार्यकाल में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में साप्ताहिक दंगे होते थे। पिछली सरकार में चिह्नित कर कार्रवाई की जाती थ। इस दौरान बीजेपी सांसद सत्यपाल सिंह ने कहा कि जाट बिरादरी हमेशा राष्ट्रवादी रहा है। बीजेपी का सिद्धांत और जाटों का सिद्धांत एक है। किसानों के लिए सबसे अधिक काम बीजेपी ने किया है। इसके साथ ही उन्होंने कहा, ‘मनमोहन सिंह की सरकार को सपा और बसपा ने चलाकर निजी फायदा उठाया। पर बीजेपी सरकार ने देश और प्रदेश का कल्याण किया. 2019 में मजबूत देश बनाने के लिए फिर एक बार नरेंद्र मोदी को पीएम बनवाइए।
इससे पहले भी उठी है आरक्षण की मांग आरक्षण की मांग कोई नई नहीं है। यूपी में निषाद समाज, प्रजापति समात भी आरक्षण के लिए मांग कर चुका है। जाटों ने तो आरक्षण के लिए कई बड़े प्रदर्शन किए हैं। बता दें कि सीएम योगी ने इससे पहले भी आरक्षण का मुद्दा उठाया था। उन्होंने बड़ा राजनीतिक दांव खेलते हुए अति पिछड़ों और अति दलितों को अलग से आरक्षण का ऐलान किया है। सीएम योगी ने विधानसभा में कहा कि सरकार इसके लिए कमिटी भी बना रही है।
ये अति पिछड़ी जातियां हैं- निषाद, बिन्द, मल्लाह, केवट, कश्यप, भर, धीवर, बाथम, मछुआरा, प्रजापति, राजभर, कहार, कुम्हार, धीमर, मांझी, तुरहा और गौड़. इन जातियों को एससी की कैटेगरी में डालने पर विचार भी चल रहा है। इसे सरकार का पिछड़ी जातियों को लुभाने के बड़े फैसले के तौर पर देखा जा रहा है।