योगी सरकार ने नये कानून को अमल में लाने की दिशा में गंभीरता से विचार किया है। अकेले कानपुर में 21 दिन में लवजिहाद के 13 मामले पुलिस के पास आ चुके हैं। शुक्रवार को ही कानपुर देहात में भी लव जिहाद का एक मामला सामने आया है, जहाँ विधवा महिला को शादी का झांसा देकर लगभग ढाई साल तक शारीरिक संबंध बनाए और बाद में महिला से 1 लाख पचास हज़ार रुपये समेत जेवर लूट लिए। इसके बाद महिला को छोड़कर भाग गया। महिला ने कानपुर देहात पुलिस अधीक्षक से न्याय की गुहार लगाई है। वहीं पुलिस के आलाधिकारी ने जांच के बाद कार्यवाही करने की बात कही है। वहीं मेरठ में एक युवक ने नाम बदलकर एक युवती को अपने प्रेमजाल में फंसाया। और इसके बाद हिंदू रीति के अनुसार शादी भी कर ली। मामले के खुलासे के बाद आरोपी पुलिस की गिरफ्त में है।
यूपी के कानपुर, मेरठ, शामली, मुजफ्फरनगर, नोएडा, बुलंदशहर, बदायूं और सहारनपुर में धर्मांतरण कर ‘लव जेहाद’ के अधिकांश मामले देखने को मिले हैं। इसकी रोकथाम के लिए सरकार ने कमर कस ली है। आधिकारिक सूत्रों की मानें तो इस सिलसिले में अन्य सात राज्यों में पहले से ही लागू इस अधिनियमों का यूपी सरकार परीक्षण कर रही है। इसी की तर्ज पर नया अध्यादेश आएगा। ओडिशा, अरूणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, उत्तराखंड व झारखंड में फिलहाल धर्मांतरण विरोधी कानून लागू है। देश में ओडिशा पहला राज्य है जिसने यह कानून 1967 में लागू किया था। जिसके अगले ही साल 1968 में मध्यप्रदेश में इसका अनुसरण किया गया। सूत्रों ने बताया कि राज्य विधि आयोग ने पिछले साल धर्मान्तरण जैसे गंभीर मसले पर नया कानून बनाने की सिफारिश की थी। आयोग का मत है कि मौजूदा कानूनी प्रावधान धर्मान्तरण रोकने के लिए पर्याप्त नहीं हैं और इस गंभीर मसले पर दस अन्य राज्यों की तरह नये कानून की आवश्यकता है।