scriptजो पहले कभी नहीं हुआ, वह अब कर रहीं स्वयं सहायता समूह की महिलाएं: योगी | CM Yogi unique example of women's empowerment and mission power | Patrika News

जो पहले कभी नहीं हुआ, वह अब कर रहीं स्वयं सहायता समूह की महिलाएं: योगी

locationलखनऊPublished: Mar 08, 2021 09:44:29 pm

Submitted by:

Ritesh Singh

तीन लाख 93 हजार से अधिक स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से 45 लाख से अधिक परिवारों की बदली किस्मत
 

जो पहले कभी नहीं हुआ, वह अब कर रहीं स्वयं सहायता समूह की महिलाएं: योगी

जो पहले कभी नहीं हुआ, वह अब कर रहीं स्वयं सहायता समूह की महिलाएं: योगी

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए स्वयं सहायता समूहों के जरिए मिसाल पेश की है। यह महिलाओं के सशक्तीकरण और मिशन शक्ति का नायाब उदाहरण है। पिछले पौने चार साल में स्वयं सहायता समूहों ने कई ऐसे कीर्तिमान रचे हैं, जिसे पहले कभी नहीं किया गया था। स्कूल ड्रेस, राशन वितरण और पोषाहार वितरण से लेकर मल्टीनेशनल कंपनियों के उत्पाद भी स्वयं सहायता समूहों की महिलाएं बना रहीं। इसके अलावा स्वेटर बुनाई के लिए ट्रेनिंग, रेडिमेड गारमेंट्स से जोड़ने और रॉ मटैरियल उपलब्ध कराने के साथ बाजार भी तलाशा जा रहा है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मुहिम की तस्दीक तीन लाख 93 हजार से अधिक स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से 45 लाख से अधिक परिवारों के वित्तीय और सामाजिक समावेशन से की जा सकती है। सीएम ने हाल ही में 97,663 स्वयं सहायता समूहों और उनके संगठनों को 445 करोड़ 92 लाख की पूंजीकरण धनराशि दी है। सिर्फ कोरोना काल में ही समूहों ने एक करोड़ 28 हजार ड्रेस और एक करोड़ मास्क बनाए, 1,51,981 आंगनबाड़ी केन्द्रों पर ड्राई राशन और 204 विकास खण्डों में टेक होम राशन वितरित किया। प्रदेश में 1,010 उचित दर की दुकानों का संचालन भी समूह की महिलाएं कर रही हैं। सीएम योगी के निर्देश पर अब उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन को इस साल दो लाख समूह और बनाने, 2024 तक नए 10 लाख समूह बनाकर एक करोड़ महिलाओं को जोड़ने की कार्य योजना पर कार्य किया जा रहा है।
स्कूल ड्रेस के साथ स्वेटर भी बुनेंगीं समूहों की महिलाएं

प्रदेश के प्राईमरी स्कूलों में बच्चों को निशुल्क दिए जा रहे ड्रेस की सिलाई का कार्य भी स्वयं सहायता समूहों से कराया जा रहा है। प्रयागराज में 17 हजार ड्रेस एक महिला स्वयं सेवी समूह ने तैयार किया है। प्रदेश में एक लाख 58 हजार से अधिक बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूल हैं और एक करोड़ 80 लाख से अधिक बच्चे पढ़ते हैं। राज्य सरकार इन्हें दो-दो यूनिफार्म बनवाने के साथ स्वेटर भी दे रही है।
देश के लिए मानक होगा पुष्टाहार वितरण

प्रदेश में पहले चरण में दो सौ से अधिक विकास खंडों में बाल विकास एवं पुष्टाहार की ओर से दिए जाने वाले पोषाहार के वितरण की जिम्मेदारी महिला स्वयं सेवी समूहों को दी गई है। जल्द ही प्रदेश के सभी 821 विकास खंडों में महिला स्वयं सेवी समूहों के माध्यम से इस कार्यक्रम को और आगे बढ़ाया जाएगा। यह कार्यक्रम सफलतापूर्वक आगे बढ़ने पर देश के लिए एक मानक होगा।
चंदौली में आईटीसी के लिए अगरबत्ती बना रहीं महिलाएं

चंदौली जिले में आईटीसी और स्वयं सहायता समूह की 66 महिलाओं के सहभागिता से मंगलदीप ब्रांड की अगरबत्ती बनाई जा रही है। इसके अलावा समूह की 90 अन्य महिलाएं खुद मशीन खरीद कर अगरबत्ती बनाती हैं और इसकी बिक्री स्थानीय बाजार में करती हैं। वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर में चढ़ाए गए फूलों और प्रसाद की प्रासेसिंग आईटीसी की ओर से की जाती है और प्रासेसिंग के बाद रॉ मटैरियल आईटीसी की ओर से समूह की महिलाओं को दिया जाता है। समूह की महिलाएं आईटीसी द्वारा दिए गए मशीन और रॉ मटैरियल से अगरबत्ती बनाती हैं और बनाई हुई अगरबत्ती को आईटीसी चंदौली को बिक्री के लिए भेज देती हैं। जिला मिशन प्रबंधक शशिकान्त सिंह बताते हैं कि जिले में 84 सौ से ज्यादा स्वयं सहायता समूह हैं। इसमें सबसे ज्यादा अगरबत्ती और जरी जरदोजी का कार्य किया जा रहा है। पैडल मशीन और आटोमेटिक मशीन के जरिए अगरबत्ती बनती है। एक महिला की औसतन आमदनी 6 से 10 हजार रुपए महीना है।
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