प्रमुख सचिव नगरीय रोजगार एवं गरीबी उन्मूलन अमृत अभिजात ने बताया कि इसका पहला मुख्य उद्देश्य ऐसा ईको सिस्टम बनाना है, जहां शहरी गरीब समूह से जुड़ी महिलाओं के लिए सम्मानजनक आजीविका के अवसर उपलबध हो सके। साथ ही स्वच्छ भोज्य पदार्थ उचित मूल्य पर उपलबध हो।
वाराणसी में इसे शुरू कराया जा चुका है। प्रमुख सचिव ने डूडा वाराणसी से कैंटीन के अनुभव के आधार पर प्रस्ताव तैयार कराते हुए प्रदेश के सभी परियोजना अधिकारियों को उपलबध कराने का निर्देश दिया है। इसके आधार पर इसे अन्य निकायों में भी शुरू किया जाएगा।
इससे पहले प्रमुख सचिव नगरीय रोजगार एवं गरीबी उन्मूलन अमृत अभिजात की अध्यक्षता में हुई बैठक में इस पर विचार-विमर्श किया गया। इसमें तय किया गया पहले चरण में लखनऊ, कानपुर, गाजियाबाद आगरा, बरेली, मेरठ, मुरादाबाद, अलीगढ़, सहारनपुर, प्रयागराज, वाराणसी, गोरखपुर, झांसी, फिरोजाबाद, मथुरा-वृंदावन, शाहजहांपुर और अयोध्या नगर निगम कार्यालयों में इसे शुरू कराया जाए। बाद में इसकी सफलता को देखते हुए प्रदेश के सभी निकायों में शुरू कराया जाए। धीरे-धीरे अन्य स्थानों पर भी इसे शुरू कराने पर भविष्य में विचार किया जा सकता है।
प्रमुख सचिव ने यह भी निर्देश दिया है कि इसके लिए छत्तीसगढ़ और दक्षिण भारत के कुछ राज्यों में महिला समूहों द्वारा विभिन्न अभिनव प्रयोगों को देखा जाए। ऐसे राज्यों के इन समूहों के कामों को देखने के लिए मथुरा, फिरोजाबाद और वाराणसी के साथ दो अन्य परियोजना अधिकारियों के साथ सूडा मुख्यालय स्तर के एक अफसर की टीम बनाकर भेजा जाए। अध्ययन के बाद नए सिरे से इसका प्रस्ताव तैयार करते हुए इसे अमल में लाया जाए। इन कैंटीन के माध्यम से जहां महिलाओं को रोजगार मिलेगा, वहीं लोगों को सस्ते नश्ते और खाने की सुविधा मिलेगी।