इस मौके पर डा.अंसारी ने कहा कि अपनी संस्कृति और परम्पराएं हमारे लिए ज़्यादा महत्व रखती हैं। विदेशी नाटकों की अपेक्षा अपनी परम्पराओं और मिट्टी से जुड़ी हुई नाट्यकृतियों के विविधता भरे प्रयोग रंगमंच को निश्चय ही बढ़ावा देंगे। डा.अनिल रस्तोगी ने कहा कि आज थियेटर का फलक पहले की अपेक्षा विशाल हुआ है, इसका सकारात्मक प्रयोग करना श्रेयस्कर होगा। इससे पहले सोसायटी के अध्यक्ष अतहर नबी ने सभी का स्वागत करने व संगीतकार नौशाद के संग बिताए क्षणों को याद करते हुए कलाकारों को सम्मानित करना अपना सौभाग्य बताया। उन्होंने कहा कि ड्रामे की ये खूबी बेमिसाल है कि वह दर्शकों के सामने जीवंत कलाकार प्रस्तुत करते हुए उसे किसी कहानी या घटनाओं से जोड़ते हैं। आज देश में छह सौ से अधिक इकाईयां ड्रामा को लेकर निरंतर सक्रिय हैं।
इन्हें मिला सम्मान अतिथियों ने मंच पर प्रख्यात अभिनेता डा.रस्तोगी व विजय वास्तव के संग मुम्बई के आफाक अहमद, इकबाल नियाजी व डा.शालिनी वेद, लखनऊ के राजा अवस्थी, प्रभात बोस, वामिक खान, नवाब जाफर मीर अब्दुल्लाह व बीएन ओझा को नौशाद सम्मान से अलंकृत किया।
यह थी दिलचस्प कहानी बड़े शहरों में किराए के मकानों की दिक्कत को सामने इस नाटक की कहानी में एक झूठ के पीछे छुपे सौ झूठ दर्शकों को लगातार ठहाके लगाने को मजबूर करते हैं। शादीशुदा नौजवान शराफत नौकरी करने दूसरे शहर में मकान मिलने में दिक्कतें देखकर मकान मालिक नवाब साहब को खुद को अविवाहित बताकर मकान ले लेता है। कुछ दिन सब ठीक चलता है मगर दर्शकों की हंसी की फुहारें तब छूटनी शुरू होती है जब शराफत की पत्नी शमीम अचानक वहां आ जाती है और शमीम को शराफत अपनी आपा बताकर नवाब से परिचित कराते हैं। विदुर नवाब जहां अपनी इकलौती बेटी पम्मी से शराफत की शादी करा उसे घरजमाई बनाने की सोचते हैं। साथ ही धीरे-धीरे शमीम से इकतरफा इश्क कर शादी करने के ख्वाब भी देखने लगते हैं। बात कुछ और आगे बढ़े इससे पहले शमीम के पिता मीर साहब अपने बेटे इमरान के साथ आ धमकते हैं। फिर दर्शकों के ठहाकों के बीच दिलचस्प घटनाक्रम में सारे राज खुलते हैं और इमरान की शादी पम्मी से पक्की हो जाती है।
इन्होंने बनायी नाट्य प्रस्तुति आत्माराम सावंत के लिखे मूल मराठी नाटक ‘खुदा खैर करे’ के श्रीधर जोशी द्वारा किए हिन्दी रूपांतरण का मंचन प्रसिद्ध रचनाकार हसन काजमी के निर्देशन में किया गया। नाटक में शराफत- अशोक लाल, मिट्ठू- शेखर पाण्डेय, नवाब साहब- तारिक इकबाल, शमीम- दीपिका श्रीवास्तव, मीर साहब- आनन्दप्रकाश शर्मा, पम्मी- श्रद्धा बोस, नाना मामा- गिरीश अभीष्ठ और नौकर- सचिनकुमार शाक्य बनकर मंच पर उतरे तथा दर्शकों को हंसाया। मंच पाश्र्व के पक्षों में दृश्यबंध डिजाइनिंग चन्द्रनी मुखर्जी की, सेट निर्माण कैलाश काण्डपाल व मोहम्मद हामिद-मोहम्मद राशिद का, रूपसज्जा सभ्यता भारती व सलमा बानो की, वस्त्र विन्यास कौसर जहां का, प्रस्तुति नियंत्रण अब्दुल मारूफ व अनवर हुसैन का, प्रेक्षागृह नियंत्रण कमर सुल्ताना व चैधरी यहया, उद्घोषणा हसन काजमी की और कार्यशाला व प्रस्तुतिकरण परिकल्पना अतहर नबी की रही।