scriptयूपी के तीन और जिलों में कमिश्नर सिस्टम लागू, इन जिलों में अब क्या होंगे बदलाव | Commissioner system implemented in 3 more districts of UP | Patrika News

यूपी के तीन और जिलों में कमिश्नर सिस्टम लागू, इन जिलों में अब क्या होंगे बदलाव

locationलखनऊPublished: Nov 26, 2022 07:30:10 pm

Submitted by:

Upendra Singh

उत्तर प्रदेश के तीन और जिलों में कमिश्नर सिस्टम लागू हो गया है। आगरा, प्रयागराज और गाजियाबाद में अब पुलिस कमिश्नर होंगे। अब प्रदेश के 7 जिलों में कमिश्नरी हो गई है।

commisionary.jpg
शुक्रवार को लखनऊ में मुख्यमंत्री आवास पर कैबिनेट की बैठक में प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई। वैसे इस प्रस्ताव पर सैद्धांतिक सहमति पहले ही बन गई थी। मुख्यमंत्री योगी ने इसे स्वीकृति दे दी थी। इसे अब बस आधिकारिक रूप से मंजूरी दी गई है। इससे पहले नोएडा, लखनऊ, कानपुर और वाराणसी में कमिश्नरी सिस्टम लागू हुआ था।

13 जनवरी 2020 को सबसे पहले लखनऊ और नोएडा में पुलिस कमिश्नर स‌िस्‍टम लागू हुई थी
13 जनवरी 2020 को यूपी में सबसे पहले लखनऊ और नोएडा में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू हुई थी। इसके बाद लखनऊ में सुजीत पांडे और नोएडा में आलोक सिंह को पहला को पहला पुलिस कमिश्नर बनाया गया था।

इसके बाद 26 मार्च 2021 को दूसरे चरण में कानपुर और वाराणसी में यह सिस्टम लागू किया गया। कानपुर में विजय सिंह मीणा और वाराणसी में ए सतीश गणेश पुलिस कमिश्नर बनाए गए थे। अब योगी सरकार ने तीसरे चरण में तीन और शहरों में यह प्रणाली लागू करने का फैसला किया है।

क्या है कमिश्नर सिस्टम

कमिश्नर सिस्टम आम लोगों की समझ से बाहर है। हम आपको बता रहे हैं कि आखिर वो कमिश्नर सिस्टम क्या है? ऐसा क्यों माना जाता है कि कानून व्यवस्था के लिए कमिश्नर प्रणाली ही बेहतर होती है।

आजादी से पहले भारत में अंग्रेजों ने मुंबई, कोलकाता और मद्रास में पुलिस कमिश्नरी सिस्टम लागू किया था। उस समय सारी न्यायिक शक्तियां भी पुलिस कमिश्नर के पास होती थी। पुलिस कमिश्नरी सिस्टम पुलिस प्रणाली अधिनियम, 1861 पर आधारित है।

पुलिस प्रणाली अधिनियम 1861 क्या है

ब्रिटिश काल में पुलिस अधिनियम सन 1861 में लागू किया गया था। पुलिस एक्ट का मकसद पुलिस का पुनर्गठन करना और अपराधों को नियंत्रित करना है। साथ ही अपराधों का पता लगाने के लिए पुलिस को अधिक दक्ष और मजबूत बनाना भी है।

हमारे देश में अधिकांश राज्यों के पास अपनी पुलिस है, जो वहां की सरकारों और गृह मंत्रालय के अधीन काम करती है। वहां की विधान सभा और विधान परिषद पुलिस से संबंधित कानून बनाने का अधिकार रखती है। लेकिन देशभर की पुलिस के लिए कुछ केंद्रीय कानून भी हैं, जो पूरे देश में लागू होते हैं। उन्हीं कानूनों को पुलिस अधिनियम (Police Act) कहा जाता है। पूरे देश में मौजूद पुलिस व्यवस्था ही पुलिस अधिनियम के तहत काम करती है। पुलिस एक्ट सन 1861 में लागू किया गया था।
DM और एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट केे अधिकार पुलिस कमिश्नर को मिल जातेे हैं

पुलिस कमिश्नर के पास सीआरपीसी (CRPC) के वो सारे अधिकार होते हैं, जो सामान्य पुलिस व्यवस्था वाले जिलों में डीएम (DM) के पास होत हैैं। यही वजह है कि पुलिस कमिश्नर को किसी भी मामले में जिले के DM से आदेश लेने की जरूरत नहीं होती है। पुलिसकर्मियों तबादले, लाठी चार्ज या फायरिंग के आदेश भी खुद पुलिस कमिश्नर दे सकते हैं। पुलिस शांति भंग की आशंका में निरुद्ध करने से लेकर गुंडा एक्ट, गैंगस्टर एक्ट और रासुका तक लगा सकेगी। इन चीजों को करने के लिए डीएम से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होगी। ये सब लगाने के लिए डीएम की सहमति जरूरी होती है।
कमिश्नर ले पाएंगे निर्णय
कमिश्नर प्रणाली में पुलिस के अधिकार काफी हद तक बढ़ जाएंगे। कानून व्यस्था से जुड़े तमाम मुद्दों पर पुलिस कमिश्नर निर्णय ले सकेगा, जिले में डीएम के पास अटकी रहने वाली तमाम फाइलों को अनुमति लेने का तमाम तरह का झंझट भी खत्म हो जाएगा।

कमिश्नरी सिस्टम की पहले हो चुकी है पहल
इससे पहले 1976-77 में कानपुर में कमिश्नर सिस्टम लागू करने की कोशिश की गई थी। साल 2009 में मायावती सरकार ने भी नोएडा और गाजियाबाद को मिलाकर कमिश्नर प्रणाली लागू करने की तैयारी की थी। मगर वो लागू नहीं हो पाई थी। पूर्व राज्यपाल राम नाईक ने भी प्रदेश की योगी सरकार को कई जिलों में कमिश्नर सिस्टम लागू करने की बात कही थी।
adg_prashant_kumar.jpg
IMAGE CREDIT: एडीजी कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार

कमिश्नरी सिस्टम के क्या फायदे हैं

एडीजी प्रशांत कुमार ने कहा, “प्रदेश में पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम लागू होने से बदलाव आया है। अब तक ज‌हां पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू हूई है, वहां हर क्षेत्र में सुधार हुए हैं। इसी को देखते हुए मुख्यमंत्री के निर्देश पर 3 अन्य जिलों में पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू की गई है।
“पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू होने से अपराध में रिकार्ड कमी आई है। कानून व्यवस्था और बेहतर हुई है। अधिकारियों की संवेदनशीलता और जवाबदेही बढ़ी है। मजिस्ट्रेट की शक्तियां मिलने से कानून व्यवस्था और शांति व्यवस्था बेहतर करने में कामयाबी मिली। माफियाओं के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की गई है।”

माफियाओं के खिलाफ हुई कार्रवाई
प्रशांत कुमार ने बताया, “पुलिस कमिश्नरेट बनने के बाद लखनऊ में 186 माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई हुई। 486 करोड़ की संपत्ति जब्त की गई। नोएडा में 261 माफिया चिह्नति हुए। 168 करोड़ की संपत्ति जब्त की गई है।
कानपुर में 689 अपराधियों को चिह्नित करते हुए 7.9 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की गई और वाराणसी में 863 माफियाओं को चिन्हित कर उनके खिलाफ गैंगेस्टर एक्ट की कार्रवाई की गई और 19 करोड़ की संपत्ति जब्त की गई।”

कमिश्नर प्रणाली में क्या होगी अधिकारियों की रैंकिंग
आम तौर पर पुलिस कमिश्नर विभाग को राज्य सरकार के आधार पर डीआईजी और उससे ऊपर यानी आईजी रैंक व अन्य के अधिकारियों को दिया जाता है। इनके अधीन पद के अनुसार कनिष्ठ अधिकारी होते हैं। फिलहाल ये चर्चा है कि नोएडा और लखनऊ में आईजी रैंक के अधिकारी को कमिश्नर नियुक्त किया जाएगा। अभी तक इन दोनों जिलों में एसएसपी की तैनाती होती थी।

कैसे होगा काम
पुलिस कमिश्नरी प्रणाली लागू होने से पुलिस को बड़ी राहत मिलती है। कमिश्नर का मुख्यालय बनाया जाता है। एडीजी स्तर के सीनियर आईपीएस को पुलिस कमिश्नर बनाकर तैनात किया जाता है। महानगर को कई जोन में विभाजित किया जाता है। हर जोन में डीसीपी की तैनाती होती है। जो एसएसपी की तरह उस जोन में काम करता है, वो उस पूरे जोन के लिए जिम्मेदार होता है। सीओ की तरह एसीपी तैनात होते हैं ये 2 से 4 थानों को देखते हैं।
कमिश्नर प्रणाली लागू होने पर ये होंगे पुलिस के पद

पुलिस आयुक्त या कमिश्नर – सीपी
इस पद पर ADG रैंक के अधिकारी होंगे। पूरे जिले के सभी जोन की जिम्मेदारी इन पर होगी। पुलिस, कानून-व्यवस्‍था, अपराध नियंत्रण की जिम्मेदारी पुलिस कमिश्नर की होगी।

संयुक्त आयुक्त या ज्वॉइंट कमिश्नर-जेसीपी
आईजी या डीआईजी रैंक के अधिकारी तैनात होंगे। जिले में दो जेसीपी होंगे। एक कानून व्यवस्‍था का काम देखेंगे। एक कानून व्यव्‍स्‍था का काम देखेंगे। दूसरे के पास अपराध नियंत्रण की जिम्मेदारी होगी।

डिप्टी कमिश्नर – डीसीपी
इस पद पर आईपीएस रैंक के अधिकारी होंगे। जिले को जितने जोन में बांटा जाएगा, उतने आईपीएस की तैनाती की जाएगी। हर आईपीएस के पास अपने जोन की जिम्मेदारी होगी। जिले में जो कप्तान होते हैं, अब जोन प्रभार होंगे। यातायात के लिए भी अलग से डीसीपी नियुक्त किए जा सकते हैं।

‌एडिशनल डीसीपी
हर जोन में ‌एडिशनल डीसीपी की तैनाती होगी। इसमें अपर पुलिस अधीक्षक रैंक के अधिकारी तैनात होंगे। ये डीसीपी के अधीन होंगे। वर्तमान में एसपी सिटी, एसपी क्राइम आदि पदों की जिम्मेदारी संभाल रहे पुलिस अधिकारियों को इस पर तैनाती दी जाएगी।

एसीपी
इस पद पर डीएसपी रैंक के अधिकारी होंगे। एक जोन में दो से तीन डीएसपी की तैनाती हो सकेगी। वर्तमान में जो काम सीओ देखते हैं, ये एसीपी बनेंगे। एस एसीपी के पास दो थानों की जिम्मेदारी होगी।

एसएचओ और अन्य
इसके बाद थाना प्रभारी, सब इंस्पेक्टर और अन्य पुलिसकर्मी की तैनाती होगी। जो अभी थानावार व्यवस्‍था है, उसी तरह रहेगा।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो