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आज भी नेहरू के विचार चट्टान की तरह खड़े हैं दक्षिणपंथियों के सामने

locationलखनऊPublished: Feb 17, 2018 07:16:56 pm

Submitted by:

Ashish Pandey

जन विचार मंच ने आयोजित की गोष्ठी

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लखनऊ। भारत में दक्षिण पंथी विचार के राजनैतिक और दार्शनिक फैलाव में नेहरू के विचार चट्टान है, और वो कितनी भी कोशिश करें नेहरू की वैैज्ञानिक सोच और धर्मनिरपेक्ष विचारों से पार नही कर सकते। अगर दक्षिणपंथ की इन कोशिशों का प्रगतिशील ताकतों को मुकाबला करना है तो 1947 से पहले के नेहरू के आधुनिकता के विचारों को आगे बढ़ाना होगा, 1947 के बाद के नेहरू के आधुनिकीकरण से नहीं। आधुनिकता का संबंध मूल्यों से है जो संघर्ष और आंदोलन से निर्मित होता है जबकि आधुनिकरण केवल तकनीकी विकास तक सीमित है। आधुनिकीरकरण का फायदा आम आदमी को मिलना चाहिए न कि कुछ धनवान लोग ही आधुनिकीकरण पर अपना हक जमायें।
कैफ़ी आज़मी सभागार में हुआ आयोजन
यह बात जन विचार मंच द्वारा वर्तमान राजनैतिक संदर्भ और नेहरू विषय पर कैफ़ी आज़मी सभागार में आयोजित संगोष्ठी में गुजरात सेंटल यूनिवर्सिटी के असिस्टेन्ट प्रोफेसर डॉ धनंजय कुमार राय ने कहीं ।
गोष्टी को संबोधित करते हुए लखनऊ यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर रमेश दीक्षित ने कि कहा कि नेहरू ने हमेशा दिमाग की बात की है, आने वाला भारत समतावादी हो उसके लिए छात्रों, किसानों सब वंचितों की एकता ज़रूरी थी। नेहरू ने हमेशा फासीवाद के खिलाफ खुलकर बात रखी ।

दलितों तथा अल्पसंख्यकों पर हमले बढ़े
गोष्ठी का संचालन करते हुए प्रोफेसर नदीम हसनैन ने वर्तमान हालातों पर भी अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में एक डर का माहौल पैदा किया जा रहा है। इस माहौल में दलितों तथा अल्पसंख्यकों पर हमले बढ़े हैं, डर के मारे वह कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं तो एफआईआर दर्ज कराने की बात तो बहुत दूर है। इन हालातों में धर्मनिरपेक्षता की बात करना तो गुनाह ही हो गया है। हमें अपने देश के गंगा जमुनी तहजीब को बचाकर रखना होगा।
गोष्ठी की अध्यक्षता प्रोफेसर सुरेंद्र कुमार ने किया। गोष्ठी में भारी संख्या में स्थानी छात्र, नौजवान, पत्रकार, शिक्षक, वकील आदि शामिल रहे।

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