ऐसे में विकास और रोजाना विभिन्न क्षेत्रों में नये आयाम स्थापित करने की बात करने वाली आदित्यनाथ सरकार केवल जातीय कटुता फैलाने तक ही सीमित होकर रह गयी है। इन जातीय सम्मेलनों में स्वयं मुख्यमंत्री योगी का शामिल होना और भी अधिक गंभीर है। जबकि यहां यह भी उल्लेखनीय है कि वर्ष 2013 में एक जनहित याचिका की सुनवाई के बाद माननीय उच्च न्यायालय ने इन जातीय सम्मेलनों पर रोक लगाने का आदेश दिया था किन्तु भारतीय जनता पार्टी उच्च न्यायालय के आदेशों की सरेआम धज्जियां उड़ाकर न्यायालय के आदेश की अवहेलना और समाज विभाजित करने का कुत्सित प्रयास कर रही है।