1.बदायूं मे चाचा-भतीजे की लड़ाई में विलेन बनी कांग्रेस
कांग्रेस की वजह से सपा को सबसे बड़ा झटका बदायूं में लगा। यहां धर्मेंद्र यादव की हार का कारण कांग्रेस प्रत्याशी को मिले वोट हैं। धर्मेंद्र को 492898 वोट मिले। जबकि भाजपा की संघमित्रा मौर्या 511352 वोट पाकर जीत गयीं। कांग्रेस उम्मीदवार सलीम इकबाल शेरवानी को कुल 51947 मत मिले। यदि यह वोट सपा को मिल जाते तो धर्मेद्र चुनाव जीत सकते थे।
2.श्यामाचरण को भी पहुंचाया नुकसान
बांदा में भी सपा उम्मीदवार श्यामचरण गुप्ता की हार का कारण भी कांग्रेस है। भाजपा के विजयी उम्मीदवार आरके सिंह पटेल 477926 वोट पाए। जबकि, श्यामचरण गुप्ता को 418988 वोट मिले। कांग्रेस उम्मीदवार बालकुमार पटेल 75438 वोट पाने में सफल रहे। यदि बाल कुमार को मिले 7.29 प्रतिशत महागठबंधन में जुड़ जाते तो श्यामचरण गुप्ता की हार जीत में बदल जाती।
3.पीएल पुनिया बेटे को भी नहीं जिता पाए
बाराबंकी में कांग्रेस के कद्दावर नेता पीएल पुनिया खुद अपने बेटे को नहीं जिता पाए। तनुज पुनिया कांग्रेस उम्मीदवार थे। उन्हे कुल 159611 मत हासिल हुए। यानी 13 प्रतिशत लोगों ने इन्हें वोट किया। जबकि सपा उम्मीदवार राम सागर रावत 425777 वोट पाकर भी भाजपा उम्मीदवार से हार गए। भाजपा के उपेंद्र सिंह रावत को कुल 535917 वोट मिले। यह मत प्रतिश के हिसाब से 46.39 प्रतिशत हुआ। यदि पुनिया का वोट रामसागर को मिलता तो वे आसानी से जीत जाते।
4.बस्ती में आसानी से जीत जाती बसपा
बस्ती में भाजपा प्रत्याशी हरीश द्विवेदी को कुल 471162 वोट मिले। यह कुल मतों का 44.68 प्रतिशत हुआ। बसपा प्रत्याशी राम प्रसाद चौधरी को 440808 वोटों के साथ कुल 41.8 प्रतिशत मत मिले। जबकि कांग्रेस प्रत्याशी राजकिशोर सिंह को 86920 वोट यानी 8.2 प्रतिशत मत मिले। कांग्रेस का प्रतिशत बसपा के वोट में मिल जाता तो यह सीट भी गठबंधन जीतती।
5.जितिन ने बिगाड़ा इलियास का खेल
धौरहरा में भाजपा की रेखा वर्मा चुनाव न जीत पातीं यदि यहां कांग्रेस का वोट बसपा के गठबंधन को मिल जाता तो वह आसानी से अपनी सीट निकाल लेते। भाजपा को 512905 वोटों के साथ कुल 48.21 प्रतिशत मत मिले। बसपा के अरशद इलियास सिद्दकी को 352294 वोटों के साथ 33.12 प्रतिशत वोट मिले। कांग्रेस के जितिन प्रसाद ने 162856 वोट और 15.31 प्रतिशत मत हासिल किए। यह मत यदि बसपा में जुड़ता तो बसपा जीत जाती।
6.मेरठ में तो लड़ाई बहुत करीबी रही
मेरठ में लड़ाई तो बहुत करीबी रही। यहां कांग्रेस के चलते महागठबंधन की हार हुई। बीजेपी प्रत्याशी राजेंद्र अग्रवाल ने 586184 वोटों के साथ कुल 48.19 प्रतिश वोट हासिल किए। बसपा के हाजी याकूब कुरैशीको 581455 वोट मिले। यह मत प्रतिशत के हिसाब से 47.8 प्रतिशत हुआ। कांग्रेस के प्रत्याशी हरेंद्र अग्रवाल 34479 वोट यानी 2.83 प्रतिशत मत मिले। यह मामूली वोट ही महागठबंधन को काफी भारी पड़ गया और बसपा अपनी जीती सीट हार गयी।
7. भीष्म नारायण का भी बिगाड़ा खेल
संत कबीर नगर में भाजपा के प्रवीण कुमार निषाद ने 467543 वोटों के साथ कुल 43.97 प्रतिशत मत हासिल किए। बसपा प्रत्याशी भीष्म शंकर ने 431794 वोट और 40.61 फीसद मत हासिल कि। कांग्रेस के बाल चंद्र यादव को 128506 वोटों के साथ कुल 12.08 फीसद मत मिले। यह मत भीष्म नारायण को मिलता तो बसपा जीत जाती।
8. चंद्रभद्र की हार में भी कांग्रेस का हाथ
सुल्तानपुर में भाजपा की मेनका गांधी कुल 459196 वोट पाकर जीत गयीं। उन्हें 45.91 प्रतिशत वोट मिले। बसपा प्रत्याशी चंद्र भद्र सिंह ने मेनका को कड़ी टक्कर दी। उन्हें 444670 वोट और कुल 44.45प्रतिशत मत मिले। कांग्रेस के संजय सिंह ने सिर्फ 41681 वोट और 4.17 प्रतिशत मत हासिल किया। यही वोट यदि चंद्रभद्र को मिलता तो आसानी से जीत जाते।