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दोनों को चाहिए एक-दूसरे का साथ
बतादें कि यूपी में कांग्रेस बसपा से तालमेल बैठाकर सीटों का बंटवारा करने में जुटी है तो वहीं बसपा मध्य प्रदेश में कांग्रेस के साथ सीटों का बंटवारा कर चुनाव लडऩा चाहती है। जाहिर सी बात है ऐसे में दोनों को एक दूसरे के सहारे की जरूरत है। जहां यूपी में कांग्रेस बेहद कमजोर स्थिति में है तो वहीं मध्य प्रदेश में बसपा अपनी जड़े जमाने के लिए कांग्रेस का साथ चाहती है।
शीर्ष नेताओं के बीच हो चुकी है बात
सूत्रों की मानें तो सीटों के बंटवारे को लेकर कांग्रेस और बसपा के शीर्ष नेताओं के बीच बातचीत हो चुकी है और संगठन को इस पर काम करने के निर्देश भी दे दिए गए हैं। वहीं कांग्रेस उन सीटों को चिह्नत करनी भी शुरू कर दी है जहां पर बसपा का दबदबा रहा है।
2019 में लोकसभा के चुनाव होने वाले हैं। यूपी में प्रस्तावित महागठबंधन में सीटों के जुगाड़ में जुटी कांग्रेस ने एक नया फार्मूला तैयार किया है। बतादें कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव में गठबंधन करने से चुकी कांग्रेस अब यह गलती दोहराना नहीं चाहती है। तीन राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में जल्द ही चुनाव होने वाले हैं और कांग्रेस यहां पर अपने सहयोगी पार्टियों के साथ गठबंधन कर चुनाव लडऩा चाहती है। इन तीनों राज्यों में कांग्रेस बसपा के साथ गठबंधन कर चुनाव लडऩा चाहती है और इसके लिए दोनों पार्टियों के शीर्ष नेताओं के बीच बातचीत भी हो चुकी है।
बदले में यूपी में कुछ सीटें चाहती है
बतादें कि गोरखपुर और फूलपुर में हुए लोकसभा के उप चुनाव में कांग्रेस अपनी जमानत जब्त करा चुकी है। कांग्रेस यह जानती है कि अगर 2019 का लोकसभा चुनाव यूपी में अकेले लड़े तो अमेठी और रायबरेली को छोड़कर उसकी जीत की उम्मीद और कहीं से न के बराबर है। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को अपना पैर जमाने के लिए सपा-बसपा का सहारा लेना होगा ताकि २०१९ के लोकसभा चुनाव में कुछ सीटें सुरक्षित कर ली जाएं। सूत्रों की माने तो महागठबंधन में कांग्रेस के खाते में तीन से चार सीटें ही जाने की बात हो रही है। ऐसे में कांग्रेव सपा और बसपा से मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में गठबंधन कर चुनाव लडऩा चाहती है और उसके बदले में वह यूपी में कुछ और सीटें चाहती है।
तीन सीटें ही मिलती दिख रही हैं
यूपी में सपा और बसपा के बीच गठबंधन के तहत 2019 के चुनाव को लेकर जो सीट बंटवारे के फार्मूला तैयार किया गया है, उसमें कांग्रेस को तीन सीटें ही मिलती दिख रही हैं। कहा जा रहा है कि गठबंधन में सीट शेयरिंग का जो पैमाना है वह 2014 लोकसभा और 2017 के विधानसभा चुनाव के रिजल्ट को ध्यान में रखते हुए तय किया गया है। इसके तहत सपा जहां से जीती है और दूसरे नंबर पर रही है वह सीट उसे मिलेगी। जबकि बसपा जहां दूसरे नंबर पर रही थी वहीं उसकी दावेदारी होगी। इस फार्मूले के तहत सपा-बसपा के पास 70 सीटें रहेंगी। गठबंधन के अन्य साथियों कांग्रेस, रालोद, निषाद और पीस पार्टी में बाकी जो सीटें बची हैं बंटवारा किया जाएगा। इस तरह देखा जाए तो कांग्रेस के खाते में तीन सीटें ही आ सकती हैं इसका अदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।
यही कारण है कि कांग्रेस यूपी में अपनी जमीन मजबूत करने के लिए जुगाड़ का सहारा ले रही है। सूबे में सपा-बसपा के एकजुट वोट बैंक के सहारे कुछ ज्यादा सीटें लेना चाहती है और इसके बदले में कांग्रेस बसपा को मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनावों में अच्छी-खासी सीटें देकर यूपी में अपनी स्थिति मजबूत करना चाहती है।
…तो बसपा अपने कोटे से देगी सीट
कांग्रेस मध्य प्रदेश में दलित बाहुल्य और बुंदेलखंड व ग्वालियर के इलाकों में बसपा को करीब तीस सीटें दे सकती है। वहीं राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी ऐसा ही कुछ कर सकती है। इसके बदले में बसपा कांग्रेस के लिए यूपी में कुछ सीट छोड़ेगी। वहीं गठबंधन का हिस्सा सपा भी है जो जाहिर है कि उसे भी कुछ सीटें चाहिए, इसके लिए भी कांग्रेस तैयार है।