संगठन को लेकर होगी चर्चा
कांग्रेस से जुड़े सूत्रों के मुताबिक गुरुवार सुबह 10 बजे का समय दिया गया है। इसमें राहुल गांधी अपनी बात कांग्रेस अध्यक्षों से रखेंगे और उनसे उनके क्षेत्र के सियासी हालात की जानकारी लेंगे। लोगों से पूछेंगे कि आखिर उनके क्षेत्र के कौन-से ऐसे मसले हैं, जिन्हें जोर-शोर से प्रदेश इकाई उठा सकती है और उनमें से किन मसलों को सीधे तौर पर 2019 में होने वाले चुनाव में कांग्रेस अपने घोषणापत्र में जगह दे सकती है। एक तरफ जब कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व द्वारा यूपी को लेकर बरती जा रही उदासीनता के आरोप लग रहे हैं, ऐसे में सीधे तौर पर होने वाली बात को अहम माना जा रहा है।
बता दें कि यह पहला मौका होगा कि कांग्रेस अध्यक्ष सामूहिक तौर पर कांग्रेस के जिला अध्यक्षों से सीधी बात करेंगे। पहले करीब 15 दिन पहले उन्होंने ब्लॉक अध्यक्षों से बात की थी। इसमें उन्होंने ब्लॉक इकाइयों को जनता के बीच जाकर मौजूदा सरकार की कमियों को सामने लाने के लिए कहा था। कांग्रेस के लखनऊ जिलाध्यक्ष गौरव चौधरी का कहना है कि किस मुद्दे पर ये कॉन्फ्रेंसिग रखी गई है, ये तो उन्हें भी नहीं पता लेकिन संगठन से जुड़ी बातें ही होंगी। हर जिलाध्यक्ष से सुझाव मांगे जाएंगे।
कांग्रेस ने शुरू की तैयारी यूपी में महागठबंधन की राह अभी इतनी आसान नहीं दिख रही। ऐसे में कांग्रेस ने अगले लोकसभा चुनाव के लिए तैयारी शुरू कर दी है। गठबन्धन की प्रतीक्षा में हाथ पर हाथ धरे बैठे रहने के बजाये कांग्रेस ने जिन दो दर्जन ऐसी सीटों को चिन्हित कर लिया इनमें अधिकांश लोकसभा सीटें पार्टी के दिग्गज नेताओं से जुड़ी रही हैं। पहले सांसद रह चुके दिग्गजों की सीट हैं।कांग्रेस रायबरेली व अमेठी के अलावा पडरौना, कानपुर, उन्नाव, सहारनपुर, इलाहाबाद, बाराबंकी, धौरहरा, फैजाबाद समेत ढाई दर्जन सीटों पर चुनावी नतीजे पक्ष में करने के लिए पार्टी ने सारा ध्यान केंद्रित कर दिया है। इसी के साथ पार्टी नेतृत्व ने नेताओं से गठबन्धन को लेकर किसी तरह की बयानबाजी से दूर रहने की भी हिदायत दी है। अगर गठबंधन नहीं होता है तो कांग्रेस कम से कम 30 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है।