25 सीटों पर विशेष फोकस सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, दिल्ली मुख्यालय की ओर से यूपी के हर जिले से चार-चार नाम मांगे गए हैं जो चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं। इनका बायोडाटा भी मांगा गया है। इनमें 30 सीटों पर कांग्रेस का ज्यादा फोकस है। गठबन्धन की प्रतीक्षा किए बगैर पार्टी ने इन सीटों पर चुनाव लड़ने वाले नेताओं को तैयारी करने के लिए कह दिया है। यह लोकसभा सीट वे हैं जिन पर पार्टी को नतीजे मिलने की पूरी उम्मीद है। पिछले दिनों अखिलेश यादव ने सपा व बसपा ने गठबंधन की बात कबूली थी लेकिन कांग्रेस को इसमें शामिल करने पर अभी तक चुप्पी साधी है। ऐसे में गठबन्धन की प्रतीक्षा में हाथ पर हाथ धरे बैठे रहने के बजाये कांग्रेस ने जिन दो दर्जन ऐसी सीटों को चिन्हित कर लिया इनमें अधिकांश लोकसभा सीटें पार्टी के दिग्गज नेताओं से जुड़ी रही हैं। पहले सांसद रह चुके दिग्गजों की सीट हैं।
इन सीटों पर लड़ना लगभग तय कांग्रेस रायबरेली व अमेठी के अलावा पडरौना, कानपुर, उन्नाव, मुरादाबाद, सहारनपुर, इलाहाबाद, गोंडा, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर बाराबंकी, धौरहरा, फैजाबाद समेत तीन दर्जन सीटों पर चुनावी नतीजे पक्ष में करने के लिए पार्टी ने सारा ध्यान केंद्रित कर दिया है। इसी के साथ पार्टी नेतृत्व ने नेताओं से गठबन्धन को लेकर किसी तरह की बयानबाजी से दूर रहने की भी हिदायत दी है।
राहुल गांधी के कहने के बाद हुए एक्टिव पिछले दिनों कार्यकर्ताओं से बातचीत में राहुल गांधी ने कहा था कि बूथ को मजबूत किया जाए। बिना बूथ को मजबूत किए जनसमर्थन को वोट में तब्दील नहीं किया जा सकेगा। विडियो कॉन्फ्रेंसिंग में उन्होंने कहा कि हर बूथ पर पार्टी कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी तय की जाए। उनके नाम, फोन नम्बर से पार्टी को वाकिफ कराया जाए। जिला अध्यक्षों को शक्ति ऐप के बारे में बताया जाए। लोगों को इस ऐप से जोड़ा जाए।
कांग्रेस के पास थे दो विकल्प सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस बीजेपी को हराने के लिए सपा-बसपा-आरलएडी के महागठबंधन में शामिल होना चाहती है लेकिन पेंच सीटों पर फंस रहा है।पार्टी से जुड़े सूत्र बताते हैं कि अब दो विकल्प बचे थे। या तो किसी तरह बीच का रास्ता निकालकर कांग्रेस सपा-बसपा गठबंधन में शामिल हो जाए। या फिर उन सभी सीटों पर पार्टी अपने कैंडिडेट उतारे जिन पर वे मजबूती से बीजेपी को चुनौती दे सकती है। सूत्रों की मानें तो कांग्रेस अब ज्यादातर सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार सकती है। हालांकि जिन सीटों पर सपा-बसपा काफी मजबूत होंगे वहां कांग्रेस अपने उम्मीदवार नहीं उतारेगी।