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राहुल गांधी ले सकते हैं बड़ा फैसला, सपा-बसपा सहित कई दलों की बढ़ जाएंगी मुश्किलें!

locationलखनऊPublished: Dec 19, 2018 06:41:30 pm

Submitted by:

Ashish Pandey

सपा और बसपा गठबंधन में कांग्रेस को नहीं देना चाहती हैं जगह?
 

mission 2019

राहुल गांधी ले सकते हैं बड़ा फैसला, सपा-बसपा सहित कई दलों की बढ़ जाएंगी मुश्किलें!

लखनऊ. तीन राज्यों में विधानसभा चुनाव जीतने और वहां कांग्रेस की सरकार बनने के बाद राहुल गांधी के हौसले बुलंद हैं। वह अब 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए तैयार दिख रहे हैं। लोकसभा 2019 के चुनाव को लेकर सभी दलों ने तैयारियां तेज कर दी हैं। उत्तर प्रदेश इस चुनाव में फिर से महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा यह भी तय है। इसी यूपी से भाजपा और उसके सहयोगी दलों को 2014 के लोकसभा चुनाव में 80 में से 73 सीटें जीती थीं। अब भाजपा के लिए 2019 में 2014 जैसा प्रदर्शन आसान नहीं होगा। वहीं इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को अकेले ही लडऩा पड़ेगा क्योंकि सपा और बसपा ने उसको दर किनार कर दिया है।
बतादें कि सपा और बसपा यूपी में गठबंधन कर चुनाव लड़ेंगी। इसके लिए उन्होंने बकायदा फार्मला भी तैयार कर लिया है। सूत्रों की मानें तो कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी यूपी में लोकसभा का चुनाव अकेले लडऩे का जल्द फैसला ले सकते हैं। इससे कांग्रेस को काई अधिक नुकसान नहीं होगा, लेकिन सपा और बसपा के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
समय 2017 के विधानसभा चुनाव जैसा नहीं है

एक ओर जहां विपक्ष एकजुटता की बात कर रहा है तो वहीं सपा और बसपा कांग्रेस को किनारे कर यूपी में लोकसभा का चुनाव लडऩे जा रहे हैं। अब कांग्रेस के लिए यूपी में अकेले लडऩे का ही विकल्प दिख रहा है। सूत्रों की मानें तो एक ओर जहां डीएमके राहुल गांधी को विपक्ष का प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बता रहा है तो वहीं यूपी में सपा और बसपा कांग्रेस से अलग आपस में गठबंधन कर लोकसभा का चुनाव लडऩे जा रहे हैं। सूत्रों की माने तो राहुल गांधी का समय 2017 के विधानसभा चुनाव जैसा नहीं है। उस समय कांग्रेस ने सपा से गठजोड़ कर उत्तर प्रदेश विधानसभा का चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में सपा को 47 तो कांग्रेस को 7 सीटें मिली थीं। हाल में पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में तीन में कांग्रेस ने जीत कर अपनी सरकार बना ली।
…तो इससे तो अधिक ही सीटें जीतेगी

इस जीत से कांग्रेस को बदल मिला है। अब कांग्रेस यूपी में अकेले ही लोकसभा का चुनाव लड़ेगी यह लगभग तय है। क्यों कि कांग्रेस के पास इस समय यूपी में खोने के लिए कुछ भी नहीं है। कांग्रेस 2014 के लोकसभा चुनाव में दो सीटें जीती थी। इस बार वह अगर अकेले भी लड़ती है तो इससे तो अधिक ही सीटें जीतेगी।
यह सभी जातने हैं कि अब 2019 का चुनाव नरेंद्र मोदी बनाम राहुल गांधी ही होगा। ऐसे में विपक्ष अगर राहुल का साथ देता है तो भाजपा के खिलाफ विपक्षी एकजुटता से विपक्ष को फायदा होगा। लेकिन देखा जाए तो विपक्ष में एकजुटता साफ तौर पर दिखती नजर नहीं आ रही है।
सपा-बसपा के गठबंधन में कांग्रेस को जगह नहीं?

मिशन 2019 की तैयारी के लिए सपा-बसपा ने अपनी रणनीति को फाइनल रूप दे दिया है। लोकसभा चुनाव में सपा बसपा गठबंधन के तहत चुनाव लड़ेंगे। दोनो ने इस गठबंधन में कांग्रेस को दूर रखा है। इन दोनो दलों ने आपस में 36-36 सीटों में लडऩे का फैसला किया है। बाकी सीटें गठबंधन के मित्रों को दे दी जाएंगी। सपा मुखिया अखिलेश यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती ने पिछले दिनों मुलाकात की और वहां चुनाव को लेकर दोनों दलों के बीच गहन मंथन हुआ।
इस मंथन में यह निर्णय लिया गया कि यूपी में लोकसभा की 80 सीटों से वे 72 सीटों में चुनाव अपने अपने चुनाव चिह्न पर लड़ेंगे। बाकी आठ सीटें गठबंधन के अन्य सदस्यों और मित्रों के लिए छोड़ी जाएंगी। इसलिए दोनो दलों ने आपस में 36-36 सीटों पर चुनाव लडऩे का फैसला किया है। हालांकि अभी इसमें बदलाव की गुंजाईश रखी गई है। यह फार्मूला फौरी तौर पर बनाया गया है।
अमेठी और रायबरेली सीट पर सपा बसपा कोई उम्मीदवार नहीं उतारेगी। यह सीट पूरी तौर से कांग्रेस के लिए छोड़ दी जाएगी। ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि भाजपा इन दोनों सीटो को जीतने के लिए अपनी पूरी ताकत झोकने जा रही है। यही कारण है कि पिछले दिनो मोदी ने रायबरेली में आकर बड़ी जनसभा की और तमाम घोषणाएं कीं। इसके अलावा रालोद अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह के लिए पश्चिम उत्तर प्रदेश की तीन सीटें छोडऩे का निर्णय लिया गया है।
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