इस मामले में लखनऊ उपभोक्ता फोरम के राजश्री शुक्ला का कहना है कि 2010 में एक उपभोक्ता ने विग कंपनी के खिलाफ केस जीता था। इसी के आधार पर फैसला दिया गया था कि विग कंपनी उपभोक्ता के पैसे वापस करे। हमने फैसले के अनुसार काम करने के लिए डीएम को कई बार पत्र लिखा, लेकिन उन्होंने संज्ञान नहीं लिया. हमें ऐसा करना था, ताकि डीएम और जिला प्रशासन कार्रवाई करे।
ये भी पढ़ें: Mob Lynching Incident: आत्मरक्षा के लिए मुस्लिम, दलित करेंगे शस्त्र लाइसेंस के लिए अप्लाई यह है मामला ठाकुरगंज निवासी डॉ. मोहम्मद मन्नान ने 2010 में हजरतगंज के अशोक टावर स्थित इनोवेट क्योर कंपनी से 9,800 रुपये में विग खरीदी थी। लेकिन ग्राहक की शिकायत थी कि विग बेचने वाली कंपनी ने जो दावे किए थे, प्रोडक्ट उसके अनुरूप नहीं था। लिहाजा कंज्यूमर फोरम में शिकायत कर उन्होंने पैसे वापस करने की मांग की थी।
शिकायत के बाद सदस्य फोरम प्रथम राजर्षि शुक्ला ने आदेश जारी कर विग बेचने वाली कंपनी के प्रबंधक उपभोक्ता को उसकी मूल रकम वापस करने का आदेश दिया। साथ ही छह प्रतिशत की दर से ब्याज भी अदा करने को कहा। मगर आदेश के बाजवूज उपभोक्ता को रकम नहीं लौटाई गई। इसके बाद फोरम ने डीएम कौशलराज शर्मा को निर्देश दिया कि कंपनी के प्रबंधक की संपत्ति को नीलाम कर उपभोक्ता को रकम दिलवाएं। आदेश का संज्ञान न लेने पर फोरम की ओर से डीएम को दो बार नोटिस जारी की गई। 5 अप्रैल को जारी नोटिस में फोरम ने डीएम से 17 जुलाई तक कंपनी सो उपभोक्ता को उसकी रकम वापस दिलवाने का आदेश दिया। लेकिन इसके बावजूद फोरम के आदेश को डीएम ने संझान में नहीं लिया। लिहाजा फोरम ने डीएम की तनख्वाह रोकने का आदेश जारी कर उन्हें अदालत में उपस्थित होने को कहा।